पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५८९

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गरदनियाचमे हंसीचमे । स. भ.- भ्रष्टताचमे आजादीचमे इंग्लि- साइजज्डत्वचमे बीएचमे एमएचमे । मु.भ.- गर्वचमे कमेटीचमे चुंगी किमिश्नरीचमे आनरेरी मेजिस्ट्रेटीचमे । भ.--खानाचमे टिकट्चमे मद्यंचमे होटलंचमे लेक्चरचमे । मु. भ.-स्टार अवइंडियाचमे कौंसिलमें. बरत्वंचमे उपाधिचमे । स. भ.-दरि में कुरसीचमे मुलाकातचमे आनरचमे प्रतिष्ठाचमे । मु. भ.-फूलस्केपचमे हाफसिविलाइजेडत्वंचमे जितत्वममन्धवत्वंचमे बूटचमे शिफारशेन कल्पन्ताम्। य.-लीजिए महाराज दक्षिणा, कान की मैल सब निकल गई अब नींद आती है बस धता । दोनों. अहा हा इस गला फाड़ने का फल तो यही था लाइये लाइये। सब जाते हैं। CHER ज्ञाति विवेकिनी सभा यह प्रहसन" कविवचन सुधा" जि.८ सं. १०, ११ दिसम्बर १८७६ में प्रकाशित है।" प्रहसन पंचक" में भी संग्रहीत है। शाति विवेकिनी सभा होते हैं । इसलिये हमने इनके मूल पुरुष का निर्णय और वर्ण व्यवस्था लिखी है । हम को आशा है कि आप (विपिन राम शास्त्री सभा के सब पंडितों से बोले) सब हमारी समति से मेल करेंगे! क्योंकि आज की 'हे सभा के विराजमान पंडितों, आज हमने आप हमारी कल की तुम्हारी । अभी चार दिन ही की बात है सब को इस लिए बुलाया है कि आप सब महात्मा कि निवासीराम कायस्थ की गढ़त पर कैसा लंबा चौड़ा हमारी इस विनती को सुनो और उस पर ध्यान दो । दस्तखत हमने कर दिया । और हम क्या आप सबने वह हमारी विनती यह है कि हमारे पुश्तैनी यजमान ही कर दिया है। रह गई पांडित्य सो उसे आज कल्ह गड़ेरिये लोग जो परम सुशील और सत्कर्म लवलीन हैं | कौन पूछता है गिनती में नाम अधिक होने चाहिए। इन्हें किसी वर्ण में दाखिल करें । अरे भाइयो यह बड़े मैंने कलिपुराण का आकाश खंड और निघट पुराण सोच की बात है कि हमारे जीते जी यह हमारे जन्म के का पाताल खंड देखा तो मुझे अत्यंत खेद भया कि यह यजमान जो सब प्रकार से हमको मानते जानते हैं नीच हमारे यजमान खासे अच्छे क्षत्री अब कालवशात् शूद्र के नीच बने रहें तो हमारी जिंदगी को धिक्कार है। कहलाते हैं । अब देखिए इनके नामार्थ ही से छत्रियत्व कोई वर्ष ऐसा नहीं होता कि इन विचारों से दस बोस | पाया जाता है । गढ़ारि अर्थात् गढ़ जो किला है उसके भेड़ा बकरा और कमरी आसनादि वस्तु और सीधा पैसा अरि, तोड़ने वाले, यह काम सिवाय क्षत्री के दूसरे का न मिलता होय । विचारे बड़े भक्तिमान और ब्रह्मण्य अरिनहीं है । यदि इसे गूढारि का अपभ्रंश समझें तो यह

वसंत पूजा ५५ kolexfet