पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/६७२

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सभा के अधिक समालव । एतद्देशीय राजे। कन्सल्स जेनरल । बरमा के चीफ कमिश्नर। अन्य देशों के कन्सल एजेन्ट। गवर्नमेन्ट के सेक्रेटरी। इन के पोछे और बहुत से लोग पलटन के अफसर इत्यादि और लेफिटनेन्ट गवर्नर के साथ के लोग थे । यद्यपि अनुचित तो है, परंतु ऐसी शोभा कलकत्ते में कमी देखने में नहीं आई थी और ईश्वर करे न कभी देखने में आवे । श्रीमान् का शरीर सर्वसाधारण लोगों के देखने के लिये तीन दिन पर्यंत मारब्लहाल रक्खा गया है और सब लोग श्रीमान् का अन्त का दरबार करने वहाँ जायेंगे । हे भारतवर्ष की प्रजा ! अपने परम प्रेमरूपी अश्रुजल से अपने उस उपराज्याधीश का तर्पण करो जो आप तक तुम्हारा स्वामी था और जिस की बाँह की छाँह में तुम लोग निर्भय निवास करते थे और जो अनेक कोटि प्रजा लक्षावधि सैन्य के होते हुए भी अनाय की भाँति एक क्षुद्र के हाथ से मारा गया और एक बेर सब लोग निस्संदेह शोक-समुद्र में मन्न होकर उस अनाथ स्त्री लेडी म्यौ और उनके छोटे बालकों के दुःख के साथी बनो । हा! लेखनी दुःख से आगे लिखने को असमर्थ हो रही है, नहीं तो विशेष समाचार लिखती । निश्चय है कि पाठकजन इस असहय दुःस रूपी वृत्त को पढ़ कर विशेष दुःखी होने की इच्छा भी न रखेंगे। श्रीमान् स्वर्गवासी के मरण पर लोगों ने क्या किया। जिस समय यह शोक रूपी वृत्त श्रीमती महाराणो को पहुँचा श्रीमती ने लेडी म्यौ और वर्क साहेब को तार भेजा कि हम लोगों के उस अपार दुःख से अत्यंत दुःखी हुए और हम तुम लोगों के उस दुःख के साथी हैं जो श्रीमान लार्ड म्यौ के मरने से तुम पर पड़ा है । सेक्रेटरी आफ स्टेट ने भी इसी भाँति स्थानापन्न गवर्नर जेनरल को तार दिया कि "हम इस समाचार से अत्यंत दुःखी हुए । निस्संदेह भरतखंड ने एक अपना बड़ा योग्य स्वामी नाश किया और यह ऐसा अकथनीय वृत्तांत है कि इस समय हम विशेष कुछ नहीं कह सकते" । महाराज साम ने भी स्थानापन्न गवर्नरजेनरल को तार दिया है कि हम इस दुःख में लेडी म्यो और भारत की प्रजा के साय हैं, जो उन लोगों पर अकस्मात एक योग्य स्वामी के नाश होने से आ पड़ा है । महाराज जयपुर को जब यह समाचार गया एक संग शोकाक्रांत हो गए और राज के किले का झंडा गिरवा दिया और पंचमी का बड़ा दर्जार बंद कर दिया और बीस बीस मिनट पर किले से शोक सूचक तोप छूटी और नगर में एक दिन तक सब काम बंद रहा । सुना है कि महाराज कलकत्ते जायंगे । पटियाला के महाराज ने एक शोकसूचक इश्तिहार प्रकाशित किया और अपने दर्वारियों को आज्ञा दिया कि शोक का वस्त्र पहिरें । महाराज कपूरथला ने भी ऐसा ही किया और अवध अजुमन के सेक्रेटरी को एक पत्र भेजा कि उन के स्मरणार्थ उद्योग करे । कलकत्ते की दशा तो लिखने के योग्य ही नहीं है, न ऐसा कभी पूर्व में हुआ था और न ईश्वर करै होय । वसंत पंचमी का नाच गान सब बंद हो गया और नगर में दूकानै सब कई दिन तक बंद रहीं, बरात नहीं निकली, कई लग्न टाल दिए गए । वहाँ के जस्टिस आफ दि पीस लोग मिल कर एक शोकपत्र श्री लेडी म्यो को देने वाले हैं और भी अनेक शोकसूचक कृत्य हो रहे हैं । बंबई में भी सब बूकानें बंद हो गई और सब कारखाने बंद हो गए । बनारस में इस समाचार के आने से कई स्कूल बंद हो गए और कई शोकसूचक कमेटियाँ हुई । बबई में फरासीस, इटली और प्रशिया इत्यादि देशों के राजदूतों ने अपनी कोठियों के राज के झंडे आधे गिरा दिये और सब मिल कर शोक का वस्त्र पहिन कर वहाँ के गवर्नर के पास गए थे और वहाँ सब लोगों ने शोक भरी वार्ता किया और उस के उत्तर में लाट साहिब ने भी एक सुरस भाषण किया । हा ! ईश्वर फिर यह दिन लावे !! उस वाडाल दुष्ट हत्यारे शेरअली के विषय में फ्रेड आफ इंडिया के संपादक से हम पर्ण सम्मति करते है। निस्संदेह उस दुष्ट को केवल प्राण दंड देना तो उस की मुंह माँगी बात देनी है, क्योंकि मरने से डरता तो सी भारतेन्दु समग्न ६२