पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६०

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१९४३/९ ० २५ ५२ हुक. जूक और कनिष्क ५३ अभिमन्यु १९७७/९ ० O ० ३५ ५४ गोनई (३) ४५/६ २०१२/२/११८२ ई. ५३/३ ई.११८२ ई. पूर्व सन पूर्व २०५८/३] ११४७ ११४७ ५५ विभीषण ३०/६ २०८८९ ५६ इंद्रजित १०९३६ ७वार १०१६ ३०१६ २११९१३ १०५८ १०६०। ३५ भारतेन्दु समग्न ७११ १९७७ ई. पू. ये तीनों तुर्क (किंवा सातार) थे किंतु बौद्ध थे। शाक्यसित को १५० बरस हुए थे । नागार्जुन सिद्ध इन्हीं के समय में हुआ ओर बोदमत को फैलाया मुसलमानों का अभिगुन या अभिवलन । १२१७ ई.पू. विल्फर्ड के मत मे ४२३ई. पू. मोद्रों को जीता, नीलपुराण सुना, महाभाष्य का प्रचार हुआ। प्रिंसिप के मत से १०८ ई. पू.. मुसलमानों ने इसका नाम कृष्ण लिखा है । विस्फर्ड के मत से ३८८ ई. पू. नागपूजा चलाया। विस्फर्ड के मत से ३७० ईयू. । मुसलमानों के मत से पखनपति नाम राज्यकाल ५३।६।७। पि. ३५२ । मुसल्मान लेखकों ने इन्द्रषित रावण इन दोनों का राज्य २६ वर्ष लिखा है। वि. ३३४. मुसलमानों ने इसके बेटे बरवाल का नाम और लिखा है ओर उसका राज्य भी ३५ बरस लिखा है। वि. ३१६. मुसल्मानों ने लिखा है कि यह त्यागी था । इसका नाम पखनपत था । यह आजाद राजा का बेटा और बड़ा कति था । पहले इसका ज्येष्ठ पुत्र इंद्रायन गद्दी पर मैठा किंतु उसके दुष्कर्मों से दुखी होकर लोगों ने उसे मार डाला और इसको गद्दी पर बेठाया । वि. २९८, नामांतर नर, बोद्ध था. मुसलमानों ने इसको बड़ा कर लिखा है और लिखा है कि दो वर्ष मात्र राज्य किया फिर राज्य कुछ दिन शून्य रहा। वि.२८०, मुसल्मानों ने लिखा है कि पाय इसको शिपाये हुए थी। वि. २६२, आईनेअकबरी में इसका नाम आदित्य वल्लभ लिखा है। नामांतर उत्पलाक्ष. मुसलमानों का गुरुदत्त वा पलाशन. यह आंख का कंजा था। वि.२४४, नामांतर हिरण्याक्ष, मुसलमानों का तिरन्य । ५८ विभीषण(२) २१५४।३ १०२८ 2016 |१०३०६ ३९।९ ५९ किन्नर २११४ ९९२१६ ८९२ ९९३ ६० ६० सिद्ध ६१ उपल २२५४ २२०४ा ९५२१९ ८९२१९ ९९।२ ११४१२ ९५३।३ ८९३३ ३०१६ ३७१७ १२ हिरण्य २३२२११ ८९२१३१२११९ ८६२१९