पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६१

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१३२॥२ ३३ हिरण्यकुत ६४ बसुकुल ६५ मिहिरकुल 40 100 २३८२११ २४४२११ २५१२११ २४८ ७६४।८ ७०४।८ २५२ ७६५२ ७०५२ १४६।२ १६३।८ वि. २२६, मुसल्मानों का हिरणकुल । वि. २१८, आईने अकबरी का एविशाक, घड़ा विषयी था। वि. २००, टावर के मतसे नाम मुकुल, लंकापर, चदाई की. बड़ाकर था, दारद, गांधारों ओर भाटियों का प्राबल्य दुआ, पहाड़ तोड़ कर हाथियों से ठोके हटाकर नदी निकलवाई । लंका में राजा का पेर छपा कपड़ा होता था । यह ऐसा कर था कि एक बेर बाथी का पहाड़ पर से गिरना उस को अच्छा मालूम हुजा इस से सो हाथी पहाड़ा पर से गिरवा दिए । बहुत सी स्त्रियों को भी इसने मार हाला ६३५ार १७४ । 40 २५४८।१ ६३४ा ५७२।२ ५७११८ १८८ ५२ २५७८०१ ६७ वितिनंदन काश्मीर कसम ७१७ ५४१ १९५।२ २०६२ 60 ६० २६३०॥१ २६९०।१ २७५०१ ६८ वमुनद ६१ नराश ७० अक्ष ५४२१२ ४९० ४३० ४४ ४२२६६ वि. १८२, मुसल्मानों का बंग । इस को एक स्त्री ने बलि दे दिया । वि. १६४. शितिनंद या नंदन, मुसलमानों का आनंदकात, इसका बेटा कतानद उस को बमुनद हुआ वि. १४६.आईने अकवरी का विग्नंद कामशान बनाया। मि. १२८, नामांतर पर, आईने अकबरी का निर । वि. १००, आईने अकबरी का अब । मुसलमान इतिहास लेखकों ने इसका नाम राखी नहीं है। वि. ८२. गू. आईनकारी का कुलवती, मुसलमानों का जोमानन कि धर्म की उन्नति की। पि. ६४ई.आ.अ.का कान । वि०४०ई० पू० अ० अ० कर नरेन्द्राक्त, मुसामानों का नरानंद, नामांतक खिखिल। वि. २८ ई. पू. अपसंक्षा कमती सूझने से हुई, विषयी था। अंत में राज्य छोड़कर भाग गया । २३८।२ 19 २८१०।१ ७१ गोदित्य ३१० ७२ गोकर्ण ७३ नरेंद्रादित्य २८९७१ २००३।४ ३०९१६ २५३१२ २.१७२६११११ ३४ २७९ २९३७।४ २१६।९ ३२ ७४ अंधयुधिष्ठिर