पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६४

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दाद ९२ प्रतापादित्य ९३ चन्द्रापीड़ (२) ३७८२।११।१३६३३१३ ३७९१।७।१३।६८३।३ ६३०।६ ६८०६ ६५११५ ७०१५ ४।०२४ ९४ तारापीड़ ९५ ललितादित्य ३७९५८७ ६९१।११६८९।२ ३८२२।३।१८६९५।११ ६९३१२ ७१०।१।२६।७।११ ७१४।१।१०।१५ भारतेन्दु समग्र ७२० नामांतर दुर्लभक । नामांतर चंद्रानंद । बहुत धार्मिक था। इसके समय में भी क्षमाविक्रम नाम का कोई राजा था। मुसलमानों का रबाजीत । चमार की एक झोपड़ी मंदिर में पड़ती थी। वह नहीं देता था। राजा ने स्वयं उसको राजी किया । कन्नौज के यशोवर्म से लड़ा । खता और खतन तथा बुखारा गुजरात, तिब्बत, बंगाल तक जीता । बड़ा प्रतापी था । पृथ्वी में से राम लक्ष्मण की मूर्ति मिलीं, उनकी प्रतिष्ठा की । सनद और सुलहनामा लिखने की चाल थी । शाहि शब्द सर्दारवाचक था। भवभूति महाकवि इसी के समय में था। इस समय में देवताओं के भीतर द्रव्य भी रहता था । राजा लोग जैन मतवालों का भी आदर करते थे। मुसल्मानों से गुलाम बेचने की चाल सीखी । मुसलमानों ने ललितादित्य का बेटा रमा वा रणानंद, उस का पुत्र सगरानंद या शकानंद राजा हुआ, यह क्रम लिखा है और इस के पीछे ललितादित्य का छोटा लड़का प्रहस्त गद्दी पर बैठा । ३१ वर्ष इन तीनों ने राज्य किया । इस के पीछे विजयानंद ४ वर्ष राजा रहा, फिर ३ वर्ष सगरानंद का बेटा रतिकाम राजा रहा और फिर २ वर्ष असदानंद राजा हुआ । करकोटक वंश का यह अंतिम राजा था । इस वंश में २००० वर्ष ५ महीना '२० दिन राज्य रहा और जब वह वंश समाप्त हुआ तब हिजरी सन् २०९ था । ९६ कुवलयापीड़ ३८२३।४।३ ७३२७ ७२९.९ ७५०।८ ७ ९७ वज्रादित्य * ९८ पृथिव्यापीड़ ९९ संग्रामापीड़ ३८३०।४।३ ७३३७ ३८३४।५।३ (७४०७ ३८३४।५।१० ७४४।८ ७३०/९ ७३७।११ ७४१।११ ७५१८ |४|१ ७५८८ 01019 ७६२११०३ DOK***