पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६५

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१०० बज्ज * ३८३७।५।१०।७५१।८ ७४८।११ ७६९।१०|३१ १०१ जयापीड़ ३८६८।५।१०।७५४।८ ७५११११ ७७२।१०।१२ जज्ज जयापीड़ का साला था । जब जयापीड़ परदेश गया तब वह राज्य पर बैठ गया । गौरदेश के जयंत राजा की बेटी व्याही । गुजरात के राजा भीमसेन को जीता । विद्या का प्रचार किया । ८४१ महाभाष्य की पुस्तक मंगाई । क्षीर और उद्भट पंडित तथा मनोरथ, शंखदत्त, चटक, संधिमान और वामन इत्यादि इस के सभा के कवि थे। द्वारका नगर बसाया और मूर्ति स्थापना की । ताँबे के दीनार अपने नाम के चलाए। उस समय नेपाल का राजा अरमूड़ि था। शंभुकवि ने भुवनाभ्युदय नामक काव्य मम्म और उत्पल की लड़ाई का बनाया । इस का नामांतर विजयादित्य था । लोग गंजों में टिकते थे । १०२ ललितापीड़ ३८८०।५।१०/७५८८ ७८२।११ ८०३/१०/७ काश्मीर कुसुम ७२१ १०३ संग्रामापीड़ १०४ वृहस्पति * (२) ३८८७।५।१०७९७।८ ३८९९।५।१०८०४।८ ७९४|११ ८०१।११ ८१५/१०/१२ ८२२।१०/३६ नामांतर पृथिव्यापीड़। नामांतर चिप्पटजय । वेश्यापुत्र था । इसके पाँच भाइयों ने इस के नाम से राज चलाया । इन्हीं लोगों ने राज्य पर बैठाया । १०५ अजितापीड़ १०६ अनंगापीड़ १०७ उत्पालपीड़ १०८ आदित्यवर्मा ३९३५५।१०८१६१८ ३९३८।५।१०८५२१८ ३९६९।५।१०८५५।८ ३९९६।५।१० ८५७।८ ८१३।११ ८४९।११ ८५२१११ ८५४।११ ८३४।१०/३ ८७०।१०/३१ ८७३।१०/२७ ८७५/१०/१८ कर्कोटकवंश का अंतिम राजा । नामांतर अवंतिवर्मा । बड़ा काल पड़ा। बहुत से इतिहासवेत्ताओं का निश्चय है कि जालंधर के यादव राजाओं से इस का वंश निकला है । मुसल्मानों ने लिखा है कि यह सखतवर्मा (शक्तिवमा)- का पुत्र था और अपने रिश्तेदार शिववर्मा मंत्री की सहायता से गद्दी पर बैठा। इस का राज्य अट्ठाईस बरस तीन महीना तीन दिन ।