पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६७

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कहते हैं कि मम्मट इस समय में था । मुसल्मान लेखकों ने लिखा है कि संग्रामदेव का लड़का अमान था। इस को इसकी मा ने मार डाला । उस का पुत्र एक बरस राज कर के दादी के डर से फकीर हो गया । फिर तृभुवनगुप्त और बहमन (मीमगुप्त)- गद्दी पर बैठे पर इन की दादी ने इन को मार डाला । फिर विग्रहदेव राजा हुआ । यह दिदा का भतीजा था । इस को भी नृसिंहराय नामक दिवा के साधक वजीर ने मार डाला। पर्वगुप्त ने मार डाला। सुरेश्वरी क्षेत्र में मारा गया । बौद्धों के बहुत से बिहार तोड़ डाले । किसी के मत से आट बरस । १२५ संग्रामदेव * १२६ पर्वगुप्त १२७क्षमगुप्त ४०६९ 8013018 ४०७४।१० १४८ १४८ ९५१ ९६२ ९७१ ११४० ४३ १३।१० ९५२ ९५० ९७९ काश्मीर कुसुम ७२३ ४०८८८ ४०८९१९ १२८ अभिमन्युगुप्त १२९ नंदिगुप्त १३० त्रिभुवनगुप्त १३२ भीमगुप्त ९६१ ९७५ ९७६ ४ इस की दादी दिदारानी ने इस को मार डाला । ४०९४९ ९७२ ९७३ ९७५ ५ तथा । ९९४ २९६ ४०९९.९ ९७८ २३ ध्रुवाचार्य और पिचुल पंडित इस की सभा में थे। कालिदास तथा श्रीहर्षादि कवि और एक विक्रम भी इसी के समय में थे । अर्थात इस समय से हर्ष के राज्यारंभ तक कवियों के उदय का काल था । पूर्वोक्त तीनों को मार कर राच पर बैठी । इसके काल में हम्मीर नामक तुर्क ने चढ़ाई की और हार १३३ दिशा ४१२२१९ ४१४६।९ ९८२ १००६।९ ९८० १००३६ १००१ २४ १०२४७ ५२।४।७ १३४ संग्रामदेव ४१९९।१७ o १०२८ १०३२ ८।१ १३५ हरिराज और अनंतदेव सोमदेव ने वृहत्कथा में अनंत का पिता संग्रामदेव लिखा । हरि ने २२ दिन मात्र राज्य किया था, फिर अनंत राजा हुआ । अनंत ने फौज के लोगों को एक बेर ९२ करोड़ काश्मीरी रुपया बाँटा था ।