पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७६९

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७ १४५ परमान १४६ वन्दिदेव ४२६५।८।२२० ४२७२।८।२२० ४२८१।८।२२० ११४९ ११५९ १११० १११९ ११२६ ९ १४७पोप्यदेव २५ १४८जस्सदेव ४३०६।८।२२० ११७५ ११३५ १४ पोप्यदेव, का भाई था, खती था, किसी के मत से १८ बरस । १४९ जगदेव ४३२०।८।२२० १५० राजदेव ४३४३।८।२२० १५१ संग्रामदेव ४३५९।८।२२ /० १५२ रामदेव ४३८०।९।२२/० १५३ लक्ष्मणदेव* ४३८४।३।२४|० १५४ सिंहदेव * ४३९८/७२४० १५५ सिंहदेव * (२)/ ४४१७।७।२४ १५६ श्रीरिछण * ४४२०।९।२४|० १५७ कोटारानी ४४३६।१०।२१० ११९३ १२०८ १२३१ १२४७ १२६८ १२८१ १२९२ १३१८ १३३४ ११७३ ११६७ ११९० १२०६ १२२७ १२६१ १२७० १२९४ २२९४ २३ १६ २१।१ ३।६।२ १४।४ १९ ३२ १६१ ३१५० काश्मीर कुसुम URU ट्रायर के मत से नाम उदयदेव, भोटवंश का । रिछन सुलतान के काल में द्वितीय कालस्वरूप दुल्लच नामक मुगल ने (जो न मुसल्मान था न हिंदू) कश्मीर में प्रवेश करके वहाँ के नगर, मंदिर, अट्टालिका, बगीचा सब निर्मूल कर दिया और मनुष्यों को घास की मांति काट कर देश उजाड़ कर दिया । मानों आर्यों का राज्य नाश होता है यह समझ कर ईश्वर ने कश्मीर की प्राचीन शोभा ही शेष नहीं रक्खी। फिर कोटारानी के साथ उसके पालित दास शाहमीर ने विश्वासघात और कृतघ्नता करके अपने को राजा बनाया और कोटा से विवाह करने को बिचारी को तंग किया । पहले कोटा भागी किन्तु पकड़ आने पर ब्याह करना स्वीकार किया। व्याह की महफिल सजी गई। जब दुलहिन श्रृंगार करके निकाह पढ़ाने आई, साथ में कटार छिपाकर लाई । ठीक विवाह के समय कटार पेट में मारकर