पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७७३

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Skortur २०२ तैमूरशाह * ४९२० २० प्रबंध किया । ११७९ में बड़ी बड़ी लड़ाई हुई । ११८४ में गद्दी पर बैठा । ३ महीने बड़ा भूकंप हुआ । पहले वजीर ने बड़ा उपद्रव किया, बहुत से लोग जल में डुबा दिये । तब पंडित दिलाराम नामक बड़ा बुद्धिमान यहाँ का सूबा हुआ । यह बड़ा बुद्धिमान था । अंत में पहले वज़ीर के बेटे को फिर सूबेदारी मिली और इसने भी बाप की भांति महा अनर्थ किया । १२०८ हिजरी में गद्दी पर बैठा । दीवान नंदराम कश्मीर का सूबेदार हुआ । इन दोनों के काल का विशेष वृत्त नहीं जात हुआ । जमांशाह के २६ वर्ष में इन दोनों का भी समय समझना चाहिये। २०३ ज़माशाह ४९४६ २६ २०४ सुलतानमहमूद

काश्मीर कुसुम ७२९

0 २०५ शाहशुजा २०६ महाराजरणजीतसिंह ४९४६ २१ महाराज रणजीतसिंह ने कोहनूर हीरा इसी से लिया था । १२३४ हिजरी अर्थात् १८१८ ईस्वी १८७५ संवत् में कश्मीर जीता। कश्मीर जीतने की तारीख । बोलो जी वाह गुरूजी का खालसा, बोलोजी वाह गुरूजी की फतेह । २०७महाराजखड़गसिंह | ४९४७ १।४ १८९६ संवत् में महाराजा रणजीतसिंह मरे और ये राज पर बैठे। २०८ कुंअरनौनिहालसिंह ४९४७ 01012 ये अपने पिता की क्रिया करके आये उसी समय पत्थर के नीचे दबकर मर गये । इनको सिंघावालों ने मार डाला । २०९ महाराजशेरसिंह ४९५० ३ 'तैमूरशाह (सन् १७७३-९३), जमांशाह (सन १६९३-१८०० ई.) सन् १८१८ ई. में रणजीतसिंह के कश्मीर विजय करने तक महमूद, दोस्त महम्मद और शुजा का समय है। (स.) wa