पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८०२

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दिल्ली १७५९ १८०५ ८० वर्ष ५ मास 6८ वर्ष ४ हाजी दीन- मास ३ दिन मुहम्मद सायः फजल ७ रमजान सन् १२२१ हिजरी सुबह के वक्त आह दरगा फिरदौस या मंजिल दिल में रुये नाल: गुफ्ता हफ्तुम शहर स्यामरहनेवाले दिल्ली के अंतिम स्वतन बादशाह इसी का समय से अंगरजी का राज्य दिल्ली में हुआ १९०३ सिक्का: जद पर हफ्त किश्वर शाह अलम बादशाह ।। दिल्ली १८०५ १८३७ अर्श आरामगाह नाम मात्र। ३१ वर्ष ९ मास २१ दिन सिक्क: ७९ वर्ष १० शुक्रवार के - बरफ्त अज़ वहाँ शहे अकबर । मुबारक मास २१ दिन २८ जमा-शुद सियह आस्मा जे दूदे जिगर । साहिबकिरा दिन दिउस्सानी पाय शादी शिकस्त व अहमद गुक्त । सानी। सन् १२५३ साल तारीख ओ गमे अकबर ।। मुहम्मद अकबर हिवरी बादशाह मगरिब की गाजी ।। नमाज के पीछे बसलीमो बुझा है चिरागे देखती १८२७ १२७९ २० वर्ष १८वर 40 एक ओर रगून कलमा एक और नाम सिक्क : व फज्ले हे है असुल मुजफ्फर दिल्ली के बलवे में अंगरेजों ने विचारे बुढढे के नाम मात्र होने पर भी कैद करके रंगून भव दिया। और इब की आँखों के सामने इसके भाई भतीव लड़के पोते अलाह। सिराजुद्दीन अबुलजफर शाह बहादुर