पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८०३

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मुसलमान-राज्यत्व का संक्षिप्त इतिहास सन् ५७० में मुहम्मद का जन्म हुआ । ४० वर्ष की अवस्था में उन्होंने मुसल्मान धर्म का प्रचार किया । सन ६३२ में इनकी मृत्यु हुई । इन के उत्तराधिकारियों में वलाद खलीफा ने अपने भतीजा कासिम को ६००० फौज के साथ सिंधु देश जय करने को भेजा । सिंधु का राजा दाहिर युद्ध में मारा गया और इस की दो बेटियों के कौशल से कासिम को भी वलीद ने मार डाला । सन् ८१२ में मानू ने हिंदुस्तान पर फिर चढ़ाई क्रिया कितु चित्तौर के राजा सुमान ने २४ वेर युद्ध कर के उस को भगा दिया । बुखारा के पांचवें बादशाह अब्दुलमालिक का अलप्तगीन नामक एक गुलाम था जो मालिक के मरने पर बादशाह हुआ । सुबुक्तगीन इस का एक दास था । स्वामीपुत्र के मरने पर यही खुरासान का राजा हुआ और गजनी को अपनी राजधानी बनाया । सन् १७० में इसने हिंदुस्थान पर चढ़ाई किया और लाहौर के राजा जैपाल को जीता । सन् ५५९ में उस के मरने के पीछे अपने भाई को कैद कर के मुलतान महमूद बादशाह हुआ । सन् १००१ में महमूद ने हिंदुस्थान पर चढ़ाई किया और अपने पुराने शत्रु जैपाल को कैद कर लिया । सन् २००४ भटनेर के राजा को जीतने को महमूद की दूसरी चढ़ाई हुई । मुलतान के गवर्नर अघुलफतह लोदी को जीतने को वह तीसरी बेर हिंदुस्तान में आया (१००५ ई.)। चौथी चढ़ाई उस ने जयपाल के पुत्र आनंदपाल के जीतने को की । आनंदपाल भी असंख्य हिंद सैन्य ले कर उस से भिडा. किंतु ठीक युद्ध के समय उस के हाथी के विचलने से वह लड़ाई भी महमूद जीता और नगरकोट लूट कर भारतवर्ष की अनंत लक्ष्मी ले गया । इसने २० मन तो केवल जवाहिर था (१००८ ई.) । अबुलफतह के घागी होने से मुलतान पर उस की पाँची चढ़ाई हुई (१०१०) । छठी बेर उसने चानेश्वर लूटा (सन् १०११) । सातवीं और आठवी चढ़ाई इसने सन् १०१३ और १०१४ में कश्मीर पर किया, किंतु वहाँ के राज संग्रामदेव ने इस को हटा दिया । नवीं बार यह सन २०१७ में बड़ी धूम से कन्नोज पर चढ़ा, किंतु कन्नौज के राजा के दासत्व स्वीकार करने से मधुरा नाश करता हुआ लौट गया । १०वीं चढ़ाई इस की सन १०२२ में कालिंजर पर हुई और उसी वरस ११वीं चढ़ाई इस की फिर लाडौर पर दुई । १२वी बेर गुजरात पर चढ़ाई कर के सन् १०२४ में सोमनाथ का प्रसिद्ध मंदिर तोड़ा । इस के पोछे वह हिंदुस्तान में नहीं आया और सन १०३० मर गया । इस के वंश वालों का हिंदुस्तान में केवल पंजाब पर कुछ अधिकार रहा । गजनी राज्य निर्वल होने पर जगतदाहक अलाउद्दीन गोरी ने गवनी के अंतिम राजा बहराम को मार कर आने को बादशाह बनाया और कुछ दिन पीछे उस के भतीजे शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी ने बहराम के पोते को मार कर गजनी राज्य का नाम भी शेष नहीं रक्या । यही महम्मद हिंदुस्तान में मुसलमानों के राज्य का मूल है। इस ने सन् १९७६ से लेकर १६ बरस तक कई बेर हिंदुस्तान पर चढ़ाई किया किंतु कुछ फल नहीं हुआ । कन्नौज के राजा जयचंद के बहकाने से इसने सन ११११ में दिल्ली के चौहान राजा पृथ्वीराज पर बड़ी धूम से चदाई किया था, किंतु तरोरी नामक स्थान में घोर युद्ध के पीछे पृथ्वीराज से डारकर यह अपने देश को लोट गया । सन् ११९३ में वह बड़ी धूम और कौशल से फिर दिल्ली पर चढ़ा । हिंदुओं की सैना मी बड़ी धूम से इस के मुकाबिले को बाहर निकली। चित्तोर के समर सिंह हस सेना के सेनापति थे । युद्ध के डेरे पड़ने पर सुलह की बातचीत होने लगी । शहाबुवीन ने कहा हमने अपने भाई को सब वृत्तात लिखा है, उत्तर आने तक लड़ाई बद रहे । हिद सेना इस बात पर विश्वास करके शिथिल हो गई थी कि धोखा देकर एकाएक शहायुधीन ने लड़ाई आरंभ की । बहुत से हिंदवीर मारे गए । समरसिंह भी वीर गति को गए । पृथ्वीराज और उन के कवि चद को कैद कर के गजनी भेज दिया। कहते हैं कि शब्दभेरी बान से अंधे होने की अवस्था में एक दिन पृथ्वीराल ने शहापुरीन के भाई गयासुधीन का प्राण विनाश किया और उसी समय पूर्व संकेतानुसार चंद्र कवि ने उनको मारा और उन्होंने चंद * को । भारतवर्ष से हिंदुओं के स्वाधीनता का सूर्य

  • चंद की उक्ति 'अम की चढ़ी कमान को जाने फिरि करन।

जिनि चुक्के चौहान इक्के मारय इक्क सर ।।' OM बादशाह दर्पण ७९