पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८१०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दल हिन्दुओं के और औरंगजेब के विरुद्ध खड़े हुए । १३७८ में जोधपुर के राजा यशवंत सिंह के सिंधुपार मारे। जाने पर उन की स्त्री और पुत्र को निरपराध औरंगजेब ने कैद करना चाहा । यद्यपि दुर्गादास नामक सैनापति की शूरता से लड़के तो कैद नहीं हुए, किन्तु बादशाह की इस बेईमानी से राजपुताना मात्र विरुद्ध हों गया । उदयपुर के राणा राजसिंह, जयपुर के रामसिंह और सभी राजाओं ने बादशाह के विरुद्ध शस्त्र धारण किया । इधर दुर्गादास ने औरंगजेब के लड़के अकबर को बहका कर बागी कर दिया और सत्तर हज़ार सैना लेकर अजमेर में बादशाही सेना से बड़ा युद्ध किया । १६८० में बिरार, खानदेश, विल्लोर, मैसूर आदि देश में अपना अधिकार, यश और प्रताप विस्तार कर के शिवाजी मर गए । शिवाजी का पुत्र शंभुजी राजा हुआ और बादशाह के पुत्र मुअज्जम को जीत कर बहुत देश लूटा, किन्तु एक युद्ध में बादशाही सैना से घिर कर पकड़ा गया और औरंगजेब ने उस को मरवा डाला । इधर बीस बरस के रगड़े झगड़े के पीछे गोलकुंडा और बीजापुर भी औरंगजेब ने जीत लिया । यद्यपि इस जीत से औरंगजेब का गर्व बढ़ गया. किन्तु साथ ही उस का आयुष्य और प्रताप घट गया । दक्षिण की लड़ाई के मारे खजाना खाली हो गया । हिन्दुओं का जी अति खट्टा हो गया । अंत में १७०७ में ८९ वर्ष की अवस्था में औरंगजेब मर गया और मुगलों का सौभाग्य भी उसी के साथ कब्र में समाहित हुआ । औरंगजेब के तीन लड़कों में से आज़म और मुअज्जम दोनों ही बादशाह बन बैठे, किन्तु आज़म लड़ाई में मारा गया और कामबख्श भी दविखन में मारा गया, इस से मुअज्बम ही बहादुर शाह के नाम से बादशाह हुआ । इस ने उदयपुर. महाराष्ट्र आदि प्रबल राजों से संधि की । सिक्खों ने इस के समय में भी बड़ा उपद्रव किया । बहादुर शाह पांच बरस राज कर के मर गया । इस के पीछे सभी बादशाह बनने लगे और बहुत सा रुधिर बहने के पीछे (१७१२) जहाँदार शाह बादशाह हुआ । यह भी साल भर नहीं रहा कि इस का भतीजा फर्सखसियर इस को सपरिवार मार कर आप बादशाह हो गया (१७१३) । इसके समय में भाई बंदा नामक सिख बड़ी धर्मवीरता से मारा गया । १७१९ में सैयद अब्दुल्ला और सैयद हुसेन, जो इस के मुख्य सहायक थे. इस से बिगड़ गये और फरुखसियर मारा गया । सैयदों ने रफीउल्दरजात और रफीउल्शान को सिंहासन पर बैठाया, किन्तु वे चार चार महीने में मर गये । जहाँदार और फर्रुखसियर ने इतने शाहजादे मार डाले थे कि सैयदों ने बड़ी कठिनता से रौशनअखतर नामक एक शहजादे को खोज कर कैद से निकाला और मुहम्मद शाह के नाम से बादशाह बनाया । (१७१३) विद्रोह चारो ओर फैल गया । १७२० में मालवा और १७२५ में हैदराबाद स्वतंत्र हो गए । सैयद लोग इस के पूर्व ही मारे जा चुके थे । इधर भरतपुर में जाटों ने नया राज्य स्थापन कर के लूटपाट आरंभ कर दी । इधर प्रताप शाली बाजीराव पेशवा ने दिल्ली के द्वार तक जीत कर चंबल के दक्षिण का सब देश अपने अधिकार में मिला लिया । (१७३७) इस के सर्दारों में से हुल्कर ने इंदौर, सेन्धिया ने ग्वालियर. गायकवाड़ ने बड़ौदा और भोंसला ने नागपुर राज्य स्थापन किया । इसी समय ईश्वर के क्रोध का एक पंनम अवतार ईरान का बादशाह नादिरशाह हिन्दुस्तान में आया । करनाल में मुहम्मदशाह ने इस से मुकाबला किया, किन्तु जब हार गया तो नादिरशाह के पास हाज़िर हुआ । नादिर ने इस का बड़ा शिष्टाचार किया । दोनों बादशाह साथ ही दिल्ली आए । उस समय दिल्ली ऐसे निकम्मे और लुच्चे लोगों से भरी हुई थी कि दूसरे ही दिन लोगों ने यह गप्प उड़ा दी कि नादिरशाह मारा गया । बदमाशों ने उस के मनुष्यों को काटना आरंभ कर दिया । इस बात पर नादिर ने ऐसा क्रोध किया कि सारी दिल्ली को काट देने का हुकुम दिया । डेढ़ पहर तक शाक की भांति लाख मनुष्यों के ऊपर काटे गये । अंत को मुहम्मदशाह रोता हुआ उस के सामने गया. तब नादिरशाह ने आज्ञा दिया कि काटना बंद हो जाए । उस की आज्ञा ऐसी मानी जाती थी कि उस के प्रचार होते ही यदि किसी ने किसी के शरीर में आधी तलवार गड़ाई थी तो वहीं से उठा ली -दिल्ली को यों उजाड़ा कर के अट्ठावन दिन वहाँ रह कर सत्तर करोड़ का माल साथ लेकर नादिर अपने मुल्क को लौट गया(१३७९) । कुछ दिन पीछे उसके देशवालों ने नादिरशाह को मार डाला और अहमदशाह नामक उस का एक सैन्याध्यक्ष कंदहार. बलन, सिंध और कश्मीर का बादशाह बन बैठा । लाहौर लेते हुए (१७४७) हिन्दुस्थान में भी उस ने प्रवेश करना चाहा, किन्तु मुहम्मद शाह का पुत्र अहमद शाह ने सरहिन्द में युद्ध कर के उस को पीछे हटा दिया । इस के पूर्व (१७३०) बाजीराव मर गए थे, किन्तु उन के पुत्र बालाजी राव ने मालवा ले लिया था । १७४८ में मुहम्मद शाह मर गया । वह अति रागरंगप्रिय और विषयी था । इस का पुत्र अहमद शाह बादशाह हुआ । इस के समय में रुहेलों ने बड़ा उपद्रव उठाया था किन्तु मरहट्टों ने इनका दमन किया । १७५४ में भारतेन्दु समग्र ७६६