पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८१३

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औरंगजेब ने एक आज्ञा सन् १०३९ हिजरी में ऐसी प्रचलित की थी कि बनारस में न कोई मंदिर तोड़े जाएं, न हिन्दुओं को दुख दें । १०६८ में विश्वनाथ का मंदिर उसने तुड़वाया था. उसके साल भर पीछे न जानें क्या दया आपके चित्त में आई कि यह आज्ञा प्रचलित की गई, किन्तु यह आज्ञा उस की किसी विशेष युक्ति से शून्य नहीं थी, और यह आज्ञा कार्य में परिणित भी नहीं हुई. क्योंकि १०७७ में इसी काशी में कृत्तवासेश्वर का मंदिर इसी की आज्ञा से तोड़ा गया था । वहाँ जो मस्जिद है उस का लेख भी यहाँ प्रकाशित होता है. इसी से उस के चित्त की कटिलता स्पष्ट होगी । मंदिर न तोड़नेवाला असली आज्ञापत्र काशी में महादेव नामक एक ब्राह्मण के पास अद्यापि विद्यमान है बिस्मिल्ला अलहमान अलहीम 1 दुगरा बादशाह (मुहर बादशाह खुदा लायकूल एनाय: व अल मरहमः अबुलहसन बइल्तफात शाहानः उम्मीदवार बूदः बिदानद कि चूँ बमुकतज़ाय मराहिम जाती व मकारिम जबली हमगी हिम्मत वाला नहिम्मत व तमामी नीयत हक़ तबीयत मा- बर-रिफाहियत जम्हूर व इंतजाम अहवाल तबकात खवास व अवाम मसरूफस्त व अज़ रूये शरअ शरीफ न मिल्लत मनीफ मुकरंर चुर्नी अस्त कि दैरहाए देरीन बर अंदारुतः न शवद व बुतकद: हाए ताजः बिना नयाबद व दरी अय्याप मादलत इंतजाम बगरज अशरफ अकदस अर्को आला रसीद कि बाज़ मर्दुम अज राह अनफ़ व तादी बहनूद सकनः कस्वः बनारस व बर्खे अमकनः दीगर कि बनिवाहे औं वाकः अस्त व जमाअ: बिरहमनान सदनः आँ महात कि सदानत बुतखान: हाय कदीम आँजा ब आहा ताल्लुक दारद मुजाहिम व मोतरिज़ मीशवंद व मीख्याहंद कि एशारा अज़ सदानत आँ कि अज़ मुहत मदीद ब आंहा मुतअल्लिक अस्त बाज दारंद व ई मआनी बाएस परेशानी व तफरकः हाल ई गरोह मी गर्दद लिहाजा हुम्म वाला सादिर मोशवद कि बाद अज़ बरूद ई मनशूर लामअलनूर मुकर्रर कुनद कि मन बाद अहदे बवजूह बेहिसाब तआरुज व तशवीश बअहवाल बिरहमनान व दीगर हनूद मुतवतनः आँ महाल नरसानद ता आँ हा बदस्तूर एय्याम पेशी बजा व मुकाम खुद बूद: बजमैयत खातिर बदुआए बकाए दौलत दाद अबद मुद्दत अजल बुनियाद कयाम नुमायंद दरी बाब ताकीद दानद । बतारीख १५ शहर जमादिउस्सानियः सन् १०६९ हिजरी नविश्तः शुद: शाहजादा सुलतानमुहम्मद मुहर सुलतान बरिसालए नवाब कुदसी अलकाब नौ बाद: बर सितान खिलाफत गुज़ी समरः शजर: रफअत चिराग दूदमान अबहत फरोग खानदान शौकत कुर: नासिर: दौलत व इकबाल तरह नामिया हशमत व इजलाल गिरामी नसब समीउल मकान अल ममद्ह बलसानुल बाद वातुहर शाहज़ाद: नामदार कामगार वालातबार मुहम्मद सुलतान बहादुर । यह आज्ञापत्र शाहज़ादे मुहम्मद सुल्तान बहादुर के नाम है। इस का आशय यह है- 'कुरान में लिखा है कि पुराने मंदिर को नहीं गिराना और नए नहीं बनाने देना। ऐसा सुना गया है कि बनारस के ब्राह्मणों को लोग दुख देते है, इस हेतु यह आशा दी जाती है कि आगे से कोई हिन्दुओं के स्थानों को न छेड़े और ब्राहमणों को निर्विघ्न पाठ पूजा करने दे (इत्यादि) १५ जमादिउस्सानी १०६९ । इस के पीछे का कृत्तवासेश्वर की मस्जिद पर का लेख । जे हुक्मे शाह सुलताने शरीअत । दलीले ज़हद बुर्हाने तरीक़त । । शहाबे आसमाने सरफराज़ी । मुहम्मदशाह आलमगीर गाजी।। TU* fut sok बादशाह दर्पण ७६९