पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८३४

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पंच पवित्रात्मा अर्थात् मुसलमानी मत के मूलाचार्य महात्मा मुहम्मद, आदरणीय अली, बीबी फातिमा, इमाम हसन और इमाम हुसैन की संक्षिप्त जीवनी सन् १८८४ मे पहली बार विक्टोरिया प्रेस बनारस' से छपी।६मई १८८४ को अपने किसी मित्र को लिखे पत्र में भारतेन्दु बाबू ने इसके बारे में लिखा है कि हिन्दी जबान में यह पहिली किताब तसनीफ और शाया हुयी है जिस में कि बुजुर्गान अहले इसलाम का तजकिरा है और जो पढ़ने वालों के दिल पर उन लोगों की सच्ची बुजुर्गी का असर पैदा करने वाली है।" - सं. पंच पवित्रात्मा १- महात्मा मुहम्मद जिस समय अरब देशवाले बहुदेवोपासना के घोर अंधकार में फंस रहे थे उस समय महात्मा मुहम्मद ने जन्म ले कर उन को एकेश्वरवाद का सदुपदेश दिया । अरब के पश्चिम ईसामसीह का भक्तिपथ प्रकाश पा चुका था, किन्तु वह मत अरब, फारस इत्यादि देशों में प्रबल नहीं था और न अरब ऐसे कट्टर देश में महात्मा मुहम्मद के अतिरिक्त और किसी का काम था कि वहाँ कोई नया मत प्रकाश करता । उस काल के अरब के लोग मूर्ख, स्वार्थतत्पर, निर्दय और वन्यपशुओं की भांति कट्टर थे । यद्यपि उनमें से अनेक अपने को इब्राहीम के वंश का बतलाते और मूर्ति-पूजा बुरी जानते, किन्तु समाजपरवश होकर सब बहुदेवोपासक बने हुए थे। इसी घोर समय में मक्के से मुहम्मदचंद्र उदय हुआ और एक ईश्वर का पथ परिष्कार रूप से सबको दिखालाई देने लगा। महात्मा मुहम्मद इब्राहीम के वंश में इस क्रम से हैं ;- इब्राहीम, इसमाईल, कबजार, हमल, सलमा, अलहौसा, अलीसा, ऊद, आद, अदनान, साद, नजार, मजर, अलपास, बदरका, खरीमा, किनाना, नगफर. भारतेन्दु समग्र ७९०