पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८४४

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अकबर (अठारह बरस के ) इतने मनुष्य थे । युद्ध होने के पूर्व इमाम एक ऊंट पर बैठ कर सैना के सामने आए और मूदु और गंभीर स्वर से बोले कि हमने किसी की स्त्री छीनी या किसी का धन हरण किया या कोई और बात धर्म विरुद्ध की ? किस बात पर तुम लोग हमको निरपराध बध करते हो ? इसका उत्तर किसी ने न दिया, तब इमाम यह कह कर उस ऊंट पर से उतरे कि हमने संसार में तुमसे हुज्जत समाप्त कर ली, अब ईश्वर के यहाँ हमारा तुम्हारा झगड़ा है और घोड़े पर सवार हुए । युद्ध आरंभ हुआ और बड़ी वीरता से इनके साथी सब मारे गए । अंत में इमाम अपने एक छोटे बच्चे को, जो प्यास से व्याकुल हो रहा था, उन लोगों के सामने लाए और कहा कि इस नौ महीने के बच्चे पर दया कर के केवल इस के पीने को तो पानी दो । इस के उत्तर में उन दुष्टों में से एक ने ऐसा तीर मारा कि वह बच्चा वहीं मर गया । और फिर चारो ओर से घेर कर हज़ारों वार लोगों ने किए, यहाँ तक कि वे घोड़े पर से गिरे । उस समय किसी ने उन का सिर काटा, किसी ने मरे पर भाला मारा, किसी ने हाथ की उँगली नोची । इस पर भी इन लोगों को संतोष न हुआ और उन लोगों के मरे शरीर पर घोड़े दौड़ाए । हाय ! इतने बड़े मनुष्य की यह गति ! भूख प्यास से दुखी और दीन मनुष्य को निरपराध बाल बच्चे समेत स्त्रियों के सामने मारना इन्हीं लोगों का काम है, उस पर भी गुरु-पुत्र को 1 मारतेन्दु समग्र ८०० अवस्था मृत्यु का समय सन्तति नं. नाम बाप का नाममा का नाम जन्म का समय १ मुहम्मद अब्दुल्लाह अमीना १२ रबीउल्औ वल ५२/६३ हिजरी के पूर्व १२ रबीउलऔ४ पुत्र, ६३२ ईसवी ४ कन्या ११ हिजरी गाड़े जाने का स्थान विशेष विवरण मदीना बहु देववादी भूतपिशाचोपासी अरब जाति में इन्हीं| ने एकेश्वर वाद स्थापन करके मुसलमानी मत चलाया ; ग्यारह विवाह किए बुद्धि आश्चर्य कौशल सम्पन्न थी। किसी के मत में १४ विवाह १८ संतति । मदीना महात्मा मुहम्मद की एक मात्र वंश रखने वाली प्यारी कन्या थी । स्वभाव बहुत नम्र और दयालु था । २ फातिमा मुहम्मद ख़दीजा ६०४ ईसवी |२८ ११ हिजरी ३ पुत्र, २ कन्या