पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८५३

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यासांहरिकथोद्गीतं पुनातिभुवनत्रयम् ।। इति गोप-गोपी-प्रार्थना मंत्राः धन्येयमद्मधारणी तृणवीरुधस्त्वत् पादास्पृशो द्रुमलता करजाभिमष्टाः । नद्योद्रयः खगमृगास्मदयावलोकैः गांप्योतरेण भुजयोरपियतस्पृहाश्रीः ।। इति व्रजप्रार्थना मंत्रः इन मंत्रों से गोवर्दन-पूजन करके अन्नकूट भोग भगवान को समर्पण करके नमस्कार करना । इति । इस प्रकार गोवद्धन-पूजा करके महाराज बलि की पूजा करे । घर के एक कोने में महाराज बलि की और रानी बिंध्यावलि की मूर्ति पाँच रंग से लिखे । जीभ, ओठ, हथेली, तलवा, और आँख के कोने लाल रंग से, बाल काले रंग से और सब अंग पीले रंग से, कपड़े श्वेत रंग से और आयुधादिक नीले रंग से लिखे । दो भुजा बनावे और राजाओं के सब चिन्ह बनाकर अक्षत और घोडशोपचार से पूजा करे। मंत्र बलिराजनमस्तुभ्यं विरोचनसुतप्रभो । भविष्येन्द्र सुराराते पूजेयं प्रतिगृहयतां । । बलि राजा की पूजा करके कुबेर और लक्ष्मी की पूजा करनी । पूजा के पीछे स्त्रियाँ आरती करें । तीसरे पहर कास और कुस की मार्ग-पाली बनाकर नगर के बाहर वृक्ष में बाँधना और नीचे लिखे हुए मंत्र से उसको नमस्कार करके सब लोग वाहनादि समेत उसके नीचे से निकलें । इससे वर्ष भर कुशल होती है। मंत्र- व्रतस्य मार्गपालिनमस्तेस्तु सर्व लोक सुखप्रदे । विधेयैःपुत्रदाराद्यैः पुनरेहि साँझ को कुश काश को मोटी रस्सी बनाना और उसको एक ओर से राजपुत्रादिक एक ओर से नीचे लोग खींचे । जो नीचे लोग खींच ले जाय तो जानना कि राजा की जय होगी । रात को जूआ खेलना । यद्यपि जूआ खेलने का विधान तीनों दिन है परंतु इस दिन मुख्य है । रात को बूआ स्त्रियों से खेलना और दीपदान करना, ब्राहमणों को और मित्रों को वस्त्र और पान देना । इति । अथ कार्तिक शुदा २ – इसका नाम यम द्वितीया है । इसमें प्रातः काल श्री यमुना स्नान । जहाँ श्री यमुना जी न हो वहाँ श्री-यमुना जलपान वा मार्जन करना । काशी वासियों को यम तीर्थ स्नान और यमेश्वर का दर्शन करना । इस दिन अपने घर नहीं खाना, मुख्य करके छोटी बहिन के घर भोजन करना । छोटी बहिन न हो तो बड़ी के घर भोजन करना । वह भी न हो तो बूआ के घर वा नाते की बहिन के घर खाना । जो नाते की भी कोई बहिन न हो तो मानी हुई बहिन वा मित्र की बहिन के घर खाना और बहन की पूजा करना । अपने घर कभी नहीं खाना । बहिन खिलाती समय इस मंत्र से भाई की प्रार्थना करे भ्रातस्तवानुजाताहं भुक्षभक्तमिदंशुभं । प्रीतयेयमराजस्य यमुनाया विशेषतः । । इस दिन श्री यमुना जी ने यमराज को भोजन कराया है, इससे यमराज ने बरदान दिया है कि आज के दिन जो यमुना-स्नान करेगा और बहिन का आदर करके बहिन के घर खायगा, उसको यम दंड न होगा । तीसरे पहर यमराज, यमी, यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों का पूजन करना । 'यमायनमः' इस मंत्र से षोडशोपचार पूजन करके इन मंत्रों से पुष्पांजलि देना । यमायनमः, निहत्रेनमः, पितृराजायनमः, धर्मराजायनमः, वैवस्वतायनमः, दंडधरायनमः, कातायनमः, भूताधिपायनमः, दत्तानुसारिणेनमः, कृत्तानुसारिणेनमः । इन नाम मंत्रों से पूजा करके अर्घ देना, उसका मंत्र एहयेहिमातडजपाशहस्त यमांतकालीकधरांमरेश । भातृद्वितीयाकृतदेवपूजांग्रहाणचाध्यभगवन्नमस्ते ।। 1 कार्तिक नैमित्तिक कृत्य ८०९