पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८८५

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इस हेतु आप लोगों को इस अगहन के महीने में जो कुछ बन सकै स्नान, दान तुलसी-कदंब-पूजन करना चाहिए। स्कंदपुराणे मार्गशीर्ष माहात्म्ये । मार्गशीर्ष न कुर्वन्ति ये नरा पाप मोहिताः । पाप रूपाहि ते ज्ञेया कलि काले विशेषतः । । धन्यास्ते कृतिनो ज्ञेया ये यजन्ति जनाईनम् । कर्मणा मनसा वाचा भक्तितश्च भजन्ति ये ।। ७ ।। मार्गशीर्षे महापुण्या मथुरा काशिका यथा । मथुरा स्नातु कामस्तु गच्छतस्तु पदे पदे ।। ८ ।। निराशानि व्रजेत्येव पातकानि न संशयः । गोदादं स्वर्णदानं च वस्त्रान्नादि च यद्भवेत् ।। ९ ।। पौर्णमास्यां सहोमासे दाने स्यादक्षम यफलम । सा पौर्णमासी लभ्येत गंगायां यदि भाग्यतः ।। १० ।। स्नानादेव फलं तत्र यज्ञकोटिसमं भवेत् । पूजयेत संस्मरेद्यस्तु कदम्ब सर्वकामदम् ।। ११ ।। सान्कामानवाप्नोति इहामुत्र न संशयः । कदम्ब मूलसंभूतां मृदं देहे विभर्ति यः ।। १२ ।। सर्वतीर्थादिकं पुण्यं लभते मानवो भुवि । जो पाप मोहित लोग मार्गशीर्ष स्नान नहीं करते उन्हें इस कलियुग में विशेष करके पाप रूप जानना । वे सुकृती लोग धन्य हैं जो तन, मन, धन, वाणी और कर्म से श्री भगवान की सेवा करते हैं । अगहन के महीने में मथुरा और काशी में महाफल होता है । जो लोग मथुरा स्नान करने जाते हैं, उनके पाप भाग जाते हैं । अगहन की पुनदासी को सब दान अक्षय होते है । और भाग्य से यह पुनवासी में जो श्री गंगा स्नान बन जाय तो सैकड़ों करोड़ पुनवासी का फल मिलै । जो अगहन में कदम्ब की पूजा करते हैं उनके सब काम सिद्ध होते हैं । जो लोग कदंब के जड़ की मिट्टी का तिलक करते हैं, उनको सब तीर्थ स्नान का फल मिलता है। सब दिन स्नान न बने तो पीछे के पाँच दिन हरिपंचक में अवश्य स्नान करै । यथा पाय-स्कंदे च । हरिपंचक विख्यातं सर्च लोकेषु सिद्धिदम् । नारीणां च नरादीनां सर्वदुःख निबर्हणम् ।। इस अगहन के महीने में आप लोगों से जो कुछ बनै स्नान दानादिक कीजिए । OXO **** मार्गशीर्ष महिमा ८४१