पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९५६

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3906 श्रीनंदराय जी को नव लाख गऊ मिली हैं सो अब वे गऊ मोहना नामक ग्वारिआन के सरदार के पास है। उपनंद जी और अभिनंद जी ने आप राज्य नहीं लियो तासों नंदराय जी ग्राज के राजा भये । इनके कुलदेवता नारायण हैं, इनके कुल को वेद साम और शाखा कौथुमी है ; पर जब सों ब्रज के राजा भये तब सौ यजुर्वेद और माध्यदिनी शाखा भई । इनके कुलपुरोहित शाण्डिल्य है । इनके राज्य में तीन प्रकार के गोप बसे हैं, प्रथम वे जो व्यापार और गोरक्षण करै हैं, दूसरे वे जो गाय मैंस रखें और खेती करै हैं, और तीसरे वे जो बकरी इत्यादि छोटे जीव पालें । श्री नंद रायजी को मुख्य मंदिर उत्तराभिमुख है और दरवाजे के बाहर दोऊ ओर बड़े सिंह बने हैं, भीतर बड़ी चौक है वहाँ एक ऊंचो चौतरा है जा पै साँझ को सब ब्रज के लोग आयकै बैठे है, ताके पीछे जो दरवज्या है वाके दोऊ ओर बड़े बड़े हाथी बने हैं और वाह के भीतर दरवज्जा जो है वाके दोऊ ओर चंद्रमा और सूर्य बने हैं । वाके भीतरी अनेक चौक है, जिन में सर्वतोभद्र, कमलचौक और मणिचौक ये तीन मुख्य चौक है, ताके आगे श्री ब्रजरानी को मंदिर है और भीतर बाहर ताई अनेक दर दालान और मंदिर हैं और इनके बीच में कहूँ कहूँ बड़े बड़े वृक्ष लगे हैं और कहीं तुलसी को थावरो है। इनकी या पार की राजधानी को नाम गोकुल और वा पार की राजधानी को नाम नंदीश्वर है । गोकुल के देवता चितामणि माधव और मथुरानाथ जी हैं और नंदगाँव के ग्रामदेवता नंदीश्वर शिव है, और शैलासन और पाँडु नाम की दो अथाई हैं। अथ सुनंद जी को वर्णन । सुनंद जी को शरीर बड़ो ही पुष्ट है और अवस्थाहू वृद्ध नहीं मई है, केश सब श्याम हैं और ब्रज की सेना को सब प्रबंध कर है और संग और तरवार सदा हाथ में लिये रहैं, वस्त्र पीरे पहिरे हैं। इनकी स्त्री को नाम कुबला और गऊ नौ लाख हैं। अथ नंदन को वर्णन । ये सबसों छोटे हैं, रंग गेहुओं और केश बड़े लबे लंबे हैं । वस्त्र सफेद पहिनें और स्त्री को नाम अलता है, जाको रंग गौर और श्याम रंग को वस्त्र पहिरै । इनकी निज की गऊ सात लाख हैं श्री नंद जी की माता को नाम बरीयसी है । इनको अंग नाटो और केश सम श्वेत होय गये और वस्त्र हरे 1 अर्जन्य की स्त्री को नाम नटी और राजन्यकी स्त्री को सूरा । नंदराय जी के फूफा को नाम गुरुवीर है और ये वृषभानु जी के मामा लगे हैं । और नंद राय जी के दोऊ बहिन के पतिन को नाम लीन और काम उपनंद जी के पुत्र को नाम कृष्ण (कोऊ कोऊ को मत है कि उपनंद जी को पुत्र नहीं भयो सो बब नंद राय जी को पुत्र भयो तब उपनंद जी के गोद में दै दियो, तासो भगवान को नाम नंद जी उपनंद जी दोउन को वंशपरंपरा में आवै है) और इनकी एक बेटी या को नाम कामा और प्रसिद्ध नाम श्यामदेवी है । जाको रंग सांवरो है और रूप में सब कृष्ण की उन्हार है। अभिनंद जी के पुत्र को नाम सुबाहु है ; या को रंग गोरो और वस्त्र हरो है । यह श्रीकृष्ण के साथ रक्षा के हेतु सदा लकुट लिये रहै, क्योंकि श्रीकृष्ण को बड़ो भाई है तासों याके संख्य में वात्सल्य मिली है। सुनंद जी के पुत्र को नाम सुबल है, याको रंग लाल और वस्त्र कारो है और श्रीकृष्ण को बड़ो प्यारो मित्र है, क्योंकि याकी और भगवान की अवस्था एक ही है। नंदन जू के पुत्र को नाम तोक कृष्ण है। कोऊ को मत है कि या को रंग श्याम और वस्त्र पीत है । याके पुकारने को नाम तोक है और या को चलन बोलन सब श्रीकृष्ण की सी है और यह श्रीकृष्ण को अत्यंत प्यारो है क्योंकि आप को नेम है कि जो थोड़ी हू वस्तु अरोगें तो अपने हाथ सों पहिले कवर या के मुख में देत हैं । अब जन्म समय को भाव लिखत है । तहाँ श्री पूर्ण पुरुषोत्तम ने विश्वावसु नाम संवत् में जन्म लियो है ताको भाव यह है जो विश्वावसु गंधर्वन का राजा है ताके संवत में आपने जन्म लियो तासों यह जतायो कि हम गानविद्या की प्रवृत्ति करेंगे। और दक्षिणायन में जन्म लियो ताको भाव यह है कि आप अनेक नायकागण को दक्षिण होयेंगे और भक्तजन सों हु दक्षिण रहेंगे, और यज्ञअवतार में स्त्री को नाम हू दक्षिणा है तातूं दक्षिणअयन में जन्म लियो । और वर्षा ऋतु में जन्म लियो ताको भाव यह है कि वर्षा ऋतु सब जगत को जीवन है और सब ऋतुन की अपेक्षा आनंददायक है याही सो सब अन्न आदि उत्पन्न होय है तासों यह जनायो कि हम जगत के हेतु हैं और सब को आनंद देंगे । अरु सब महीना छोड़िके भाद्रपद में जन्म लियो ताको यह हेतु है कि भद्र अर्थात कल्याण वही माद्र वाको पद नाम घर अर्थात् कल्याण को घर तासों आप ने सब मास भारतेन्दु समग्र ९१२