पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९५९

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अथ स्कुट वर्णन । श्री गोपीजन के यूष अनगिनत है, इन की कोऊ संख्या नाही करि सकत । इन की यूथनि में एक पुराण के मत सों ये मुख्य यूथाधिकारिणी हैं और इनके यूथ में इतनी सखी है। यथा चंद्रावली १६०००, सुशीला १६०००, शशिकला १४०००, चंद्रमुखी १३०००, माधवी ११०००, कदंबमाला १३०००, कुंती १००००, जमुना १४०००. जान्हवी ९०००, सावित्री १५०००, सुधामुखी १४०००, शुभा १४०००, पद्मा १४०००, गौरी १४०००, सर्वमंगला १६०००, सरस्वती १३०००, भारती १००००, अपर्णा १४०००, रति १००००, गंगा १४०००, अविका १६०००, सती १३०००, नंदिनी १००००, सुंदरी १३०००, कृष्णप्रिया १६०००, मधुमती १४०००, चम्पा १३०००, और चंदना १४०००। काहू मत सो श्रीनंदराय जी की परंपरा यह है । आभीरभानु के चंद्रसुरभि, तिन के भीलुक, मीलुक को महावाह, तिन के कंजनाभ, तिन के बीरभानु, तिन के धर्मधीर, तिन के धर्मनया, तिन के काननेदु, तिन के जयबल, तिन के जयकीर्ति, तिन के यशोधन, तिन के कंठभानु, तिन के महाबुद्धि, तिन के मानमेरु, तिन के मनोरथ, तिन के वरांगद, तिन के चित्रसेन, तिन के सुनंद, तिन के उपनंद, तिन के महानंद. तिन के नंदन, तिन के कुलनंद, तिन के बंधुनंद, तिन के केलिनंद, तिन के प्राणनंद, तिन के नंद हैं। एक मत सो चित्रा जी को वर्णन । श्रीकुंड के पूर्व आनंद सुखद नाम इन को निकुंज है, इन की वय तेरह वर्ष आठ महीना की, वर्ण गौर, वस्त्र जाती पुष्प तुल्य और सेवा चित्र की है। श्यामली जी दोऊ स्वरूप की संबंधिनी है, श्री ठाकुर जी के काका की बेटी है, साँवलो रंग है । श्रीठाकुर जी की उनहार बहुत मिलत है । कोऊ को मत है कि श्री ठाकुर जी के काके की बेटी को नाम श्याम देवी है, श्यामली जी श्री ठाकुरानी जी के काका की बेटी हैं परंतु श्री ठाकुर जी की पक्षपातिनी हैं । अथ अष्ट सखिल के राग तथा बाजन को वर्णन. तहाँ श्री स्वामिनी जी संयोग में बिपंची जाति की बीन और वियोग मैं वंशी बजावत है । राग केदार और कान्हरो रात मैं तथा दिन मैं सारंग और मालकोस, वर्षा में मेघ और मल्लार । श्री चंद्रावली जी । माजा अमृत कुंडली, राग सोरठ और जलतरंग । श्री विशाखा जी। बाजा मृदंग, राग सारंग । श्री चन्द्राभागा जी । बाजा स्वरोदय, राग केदार । श्री चकलता जी । बाजा रवा, राग कान्हरा। श्री भामा जी । बाजा संग, राग कल्यान । श्री संध्यावलो जी। बाजा सारंगी, राग सोरठ । श्री इंदुलेखा जी बाजा ताल, राग बिवाग । श्री चित्रा जी। बाजा सितार, राग संकरा । अन्य मत सों बाजन के वर्णन श्री ललिता जी मृदंग । श्री जमुना जी सहनाई । श्री विशाखा जी सुरमंडल । श्री श्यामला जी दुधारा । श्री चंपकलता जी सारंगी । श्री भामा जी करताल । श्री कामा जी तुरही अरु सहचरी किन्नरी । अथ अन्य मत सों प्रियाजी के हस्त को चिहन जन, माला, कमल, वाटिका, भमर, व्यजन, छत्र, अचंद्र, कर्णफूल, मड़वा अरु जलपान । श्री युगुलसर्वस्व ९१५