पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९६

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इन नयनन सों बहत नीर सूरत दिखला जा रे । 'हरीचंद' तू मिल जा प्यारे, तेरे बिन तलफत प्रान हमारे, निकल जाय सब जिय की कसक गरवा लिपटा जारे।३६ सारंग मेरे प्यारे सों संदेसवा कौन कहे जाय । जिय की बेदन हरे बचन सुनाय राम कोई सखी देय मोरी पाती पहुँचाय । जाय के बुलाय लावें बहुत मनाय राम मिले 'हरीचंद' मोरा जिअरा बुड़ाय ।३७ क्यों गले न लगत रसिया ये । तू तो मेरे दिल बिच बसिया वे ।। तेरी चूंघरवाली अलकै मेरो तन मन डसिया वे । 'हरीचंद' नहिं मिले करै तू सौतिन सँग रंग-हसिया वे ।३८ मेरे रूठे सैयाँ हो अरज मेरी सुनि लीजै । कापै इतनी मौह चढ़ाओ क्यों न सजा मोहिं दीजे । 'हरीचंद' मैं तो तुमरी ही जो चाहे सो कीजै ।३९ किन बे रूठाया मेरा यार । कहाँ गया क्यों छोड़ गया मोहिं तोड़ गया क्यों प्यार । बन-बन पात-पात करि पूँ, कोई न सुने पुकार । 'हरीचंद' गल-लगन-हौंस मैं बिरहिनि जरि भई छार ।४० किन बिलमायो मेरो प्रान । पाटी कर पटकत निसि बीती रोवत भयो है बिहान । कहाँ रैन बसे को मन भाई किन तोर्यो मेरो मान । 'हरीचंद' बिन बिकल भई कछु करतब परत न जान।४१ भैरवी सैयाँ तुम हमसे बोलो ना । कब के गए कहाँ रैन गंवाई मत चूंघट पट खोलो ।४२ काफी तेरी छवि मन मानी मेरे प्यारे दिल-जानी । प्रात समय जमुना-तट पै हौं जात रही पानी । चूंघट उलटि बदन दिसि हेयो कहि मीठी बानी । 'हरीचंद के चित में चुभि गई सूरति सैलानी ।४३ बल खात गुजरिया बिरह भरी । भूलि गई सब सुध तन मन की लागी हरि की तिरछी नजरिया । 'हरीचंद' पिया आय मिलो अब मारत है मोहिं बिरह कटरिया ।४६ न जाय मोसों सेजरिया चढिलो न जाय । जागत सब सास ननद मोरी बाजेगी पायल, मोसों सेजरिया० । तुम अपने मद चूर गिनत नहिं मुख मेरो चूमो गर लाय हाय । 'हरीचंद' न ऐसी मोसों बनेगी पियारे कैसे लाज छाँडि दौरि आँऊँ तोहि मिलूं धाय ।४७ भैरवी नजरहा छैला रे नजर लगाए चला जाय। नजर लगी बेहोस भई मैं जिया मोरा अकुलाय । ब्याकुल तड़यूं नजर न उतरै हाय न और उपाय । 'हरीचंद' प्यारे को कोई लाओ जाय मनाय ।४८ नशीला आँखोंवाले सोए रहो अभी है बड़ी रात । सगरी रैन मेरे सँग जागत रहे करत रंगीली बात । चिड़िया नहीं बोली मेरी चूरी खनकत काहें अकुलात । 'हरीचंद' मत उठो पियरवा गल लगि करौ रस-घात । नशीली आँखोंवाले सोए रहो अभी है बड़ी रात ।४९ पीलू हमसे प्रीति न करना प्यारी हम परदेसी लोगवा । प्रीत लगाय दर चलि जैहैं रहि जैसे जिय सोगवा । परदेसी की प्रीति बुरी है कठिन बिरह को रोगवा । 'हरीचंद' फिर दुख बढ़ि जैहै कटि है नाहि बियोगवा ।५० भैरवी पियारे गर लागो रैन के जागे हो। रैन के जागे प्यारी-रस-पागे जिया अनुरागे हो । घूमत नैन पीक रंग दागे रसमगे बागे हो । 'हरीचंद' प्यारी मुख चूमत हँसि गर लागे हो पियारे गर लागो लागो रैन के जागे हो ।५१ रैन के जागे पिया हो भोरहि मुख दिखलाओ । रंगीली नसीली छबीली अँखियन अँखियाँ यार मिलाओ। घुघरवाली अलकै विथुरि रहीं जुलफै यार बनाओ। 'हरीचंद' मेरे गलबहियाँ दै आलस रैन मिटाओ १५२ न जाय मोसों सेजरिया चढिलो न जाय । बिरह बाढ़यो पिय बिन कैसे कटै रैन सखी मोसों सेजरिया चढिलो न जाय 1 छयल तोरी रे तिरछी नजर मोहिं मारी । जब तें लगी तनक सुधि नाहीं तन की दसा बिसारी ।४४ आजु की रात न जाओ सैयाँ मोरी बतियाँ मानो । तुम सौतन के रात रहत ही हम सो छल मत ठानो ।४५ भारतेन्दु समग्र ५६