पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९७४

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AADAM जाता है। ये सब स्वर जो आर्ष रीति के है सोई है या कुछ पलट गये । जो कुछ पलट गये तो इन के पलट २३. ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है इसमें क्या प्रमाण और जो आयुर्वेद प्रचलित है वही प्राचीन है इसमें WAY दृषणमालिका १. आपने जो पुस्तक छपवाई है उसमें वेद के मंत्र हैं सो वेद के मंत्र शुद्रों तथा मलेच्छादिकों के हाथ में देने से आप को दोष हुआ कि नहीं । २. आप कौन आश्रम और किस जाति के हैं और किस धर्म को मानते है जो कहिये कि हम वेधर्म को मनते है तो वेदधर्म को मानना इस में क्या प्रमाण और खीष्ट और मुहम्मदी मत को न मानना इसमें क्या प्रमाण । जो कहिये कि हम उसी कुल में उत्पन्न है इससे यही धर्म मानना योग्य है तो आप मूर्ति पूजक के वेश में हो कि नहीं। ३. जो आप कहें कि हम अमुक जाति के थे अब योगी हुए हैं तो आप के पिता पुरुषा सब उसी जाति में उत्पन्न हुए इसको हुए इसको किसने देखा है और उस में क्या प्रमाण है। X जो कहिये कि शिष्टाचार प्रमाण है और हम सुनते आते हैं कि हम अमुक वंशीय हैं तो इसी भांति मूर्ति पूजनादि शिष्टाचार क्यों नहीं मानते । ५. जो कहो कि वेद नहीं है तो दयानंद स्वामी अमुक वंश में भये यह वेद में कहाँ है। ६. आपने सम्पूर्ण देव देखा है। जो । कहिये कि वेद बहुत है और लुप्त प्राय है इस से सब नहीं देखा है तो घेद में अमुक यस्तु नहीं यह कहना व्यर्थ हो जाता ८. जो आप वेद जानते हैं तो उन के भेद कहिये । ९. बारहो उपनिषत किन किन ब्राहमणों या संहिता के अंत भाग है। १०. जो कहिये कि अमुक के हैं तो वे सब वेद के भीतर हैं या बाहर । जो भीतर है तो आवमेध प्रकरण में जब एक बेर सब वेदों को गिनाय गये तो फिर वेद के बाहरवाली कोन ब्रह्मविद्या थी जिसे पुराण के नाम से चर्यित चव्वर्ण किया। ११. अचमेष प्रकरण पुराण शब्द का अर्थ ब्रह्मविद्या है इस में कौन सा प्रमाण है और वसुरुद्रादि शब्द का अर्थ परमेश्वर ही है लिंगधारी देवता नहीं इस में क्या प्रमाण और घेद में वहाँ सहस्रनयन वज्रपाणि इत्यादि विशेषण दिये वहाँ क्या व्यवस्था और जो व्यवस्था आप करे वही ठीक इस में क्या प्रमाण । १२. और भी कई स्थान पर पुराण का अर्थ प्राचीन और इतिहास ही है इस का प्रमाण । १३. ऋग्वेद के के विभाग है और इसमें कितनी शास्त्रा और कितनी सहिला और कितने उपनिषत शीर कितने ब्राहमण इत्यादि कहिये। १४. और इन सब के आदि अंत के मंत्र सूचना के हेतृ कहिये और इन की पुस्तके उपलब्ध होगी और आपने इन सबो को किससे अधीत किया है। १५. इसी भाँति यजुर्वेद का सब वृतांत कहिये । १६. ऐसे ही सामवेद का कहिये । १७. इसी प्रकार व्योरेवार अथर्ववेद का संपूर्ण वृतांत कहिये। जो कहियेगा कि एक मनुष्य सब नहीं जान सकता इससे हम सब नहीं जानते तो ७ वें प्रश्न का दोष आप के माथे पड़ेगा १९. इन चारों वेदों को कोन स्वर से पढ़ना चाहिये और उनके स्वर की रीति वेद में किस स्थान पर जाने में क्या प्रमाण और जो वे ही हैं तो उन के वे ही होने में और न पलट जाने में क्या प्रमाण ! २१. वेदों के या मंत्रों के आप जो अर्थ करें सोई अर्थ है दूसरा अर्थ नहीं इस में क्या प्रमाण । २२. आप ने ११ ग्रंथ आर्थ माने उनके अतिरिक्त ग्रंथ अप्रमाण है इसमें क्या प्रमाण । निचायक क्या। Hot भारतेन्दु समग्र ९३०