पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९८३

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W* ५. द्वीप कथन ६. वर्ष कथन ७. पाताल कथन ८. स्वर्ग कथन ९. नरक कथन १०. सूर्य स्तुति ११. पार्वती जन्म एवं विवाह कथन १२. दक्ष आख्यान १३. एकाग्र क्षेत्र कथन । उत्तर भाग - १. पुरुषोत्तम वर्णन २. तीर्थयात्रा विस्तार कथन ३. यमलोक कथन ४. पितृश्राद्ध विधि ५. वर्णाश्नमाचार धर्मनिरुपण ६. विष्णु धर्म कथन ७. युगाख्यान ८. प्रलय कथन ९. योग कथन १०. सांख्य कथन ११. ब्रहमवाद कथन १२. पुराणांश कथन । फल श्रुति – यह पुराण लिखाकर वैशाख मास में स्वर्णयुक्त जल धेनु सहित पौराणिक ब्राहमण को अर्चना पूर्वक दान करने एवं ब्राह्मण भोजन कराने से चंद्र सूर्य स्थिति काल पर्यंत ब्रहमलोक में स्थिति होती है एवं संयत होकर यह पुराण श्रवण वा पाठ करने से सकल धर्मफल लभ्य होता है। स्तोत्र । द्वितीय पद्मपुराण पाँच खंड में ५५००० पचपन सहस्र श्लोक । पंच खंड, यथा १. सृष्टि खंड २. भूमि खंड ३. स्वर्ग खंड ४. पाताल खंड ५. उत्तर खंड । प्रथम सृष्टिखंड – पुलस्य-भीष्म संवाद से सृष्ट्यादि का उपक्रम एवं नाना धर्म आख्यान और इतिहास कथन । इस खंड में १. पुष्कर माहात्म्य विस्तार २. ब्रह्मयज्ञ विधि ३. वेदपाठादि लक्षण ४. दान विवरण ५. पृथक् पृथक् व्रत कथन ६. शैल जाया विवरण ७. तारकाख्यान ८. गोमाहात्म्य ९. कालकेयादि दैत्य वध १०. ग्रहों की पूजा एवं दान विवरण है। द्वितीय भूमि खंड – सूत- शौनक संवाद । १. पितृमातृ पूजा कथन २. शिवशर्मा कथा ३. सुव्रत चरित्र ४. वृत्रासुर वध ५. पृथक् वर्ण आख्यान ६. धर्म कथा ७. पितृशुश्रूषण कथन ८. नहुष कथा ९. ययाति चरित्र १०. गुरुतीर्थ निरूपण ११. राजा के सहित जैमिनि के संवाद में बहुत सी आश्चर्य कथा १२. अशोक सुंदरी की कथा १३. हुण्डदैत्य वघ १४. कामदाख्यान १५. विहुण्ड वध १६. च्यवन-कुंजल का संवाद १७. सिद्धाख्यान १८. ग्रंथ की फल श्रुति । तृतीय स्वर्ग खंड - सृषि लोगों से सौति का कथा-प्रसंग १. ब्रह्मांडोत्पत्ति कथन २. भूमिलोक संस्थान ३. तीर्थ आख्यान ४. नर्मदा की उत्पत्ति ५. नर्मदास्थ तीर्थ उपाख्यान ६. कुरुक्षेत्रादि तीर्थ कथन ७. कालिंदी की पुण्य कथा ८. काशी माहात्म्य ९. गया माहात्म्य १०. प्रयाग माहात्म्य ११. वर्णाश्रम धर्म एवं योग निरूपण १२. व्यासजैमिनि संवाद की पुण्य कथा १३. समुद्र मंथन १४. व्रत कथन १५. श्रेष्ठ माहात्म्य 'चतुर्थ पातालखंड १. श्रीराम का अश्वमेध एवं राज्याभिषेक कथन २. अगस्त्यादि का आगमन ३. पौलस्ति का उपाख्यान ४. अश्वमेघ करणा: देश ५. अश्वमेधीय घोटकगमन ६. नाना राज कथन ७. जगन्नाथ देव का वृत्तांत ८. वृंदावन का माहात्म्य ९. लीलावतारी की नित्य लीलानुकथन १०.वैशाख स्नान दान एवं अर्चन ११. धरा-वराह संवाद १२. यम एवं ब्राहमण की कथा १३. राजा का आचरण १४. श्रीकृष्ण का स्त्रोत्र १५. शिवशंभु मिलन १६. दधीचि का आख्यान १७. भस्मधारण माहात्म्य १८. शिव माहात्म्य १९. इंद्रपुत्र का आख्यान २०. पुराणवित्जन की प्रशंसा २१. गौतम का आख्यान २२. गीता २३. भारद्वाज के आश्रम में श्रीरामचंद्र का कल्पांतरीय इतिहास कथन । पंचम उत्तर खंड - शिव-पार्वती संवाद । १. पर्वत का आख्यान २. जालंधर की कथा ३. श्री शैलादि का विवरण ४. सगर का उपाख्यान ५. गंगा, प्रयाग, काशी एवं गया की पुण्यकथा ६. आम्रादि दानमाहात्म्य ७. महा द्वादशी व्रत कथन ८. चतुर्विशति एकादशी माहात्म्य ९. विष्णुधर्म कथन १०. विष्णु सहस्रनाम' ११. कार्तिक व्रत फल १२. माघस्नान फल १३. जंबूद्वीप के तीर्थ सकल का माहात्म्य १४. साभ्रमती महिमा १५. नृसिंहोत्पत्ति कथन १६. देवशर्मा का आख्यान १७. गीता माहात्म्य १८. भक्ति का माहात्म्य १९. श्री भागवत माहात्म्य २०. इंद्रप्रस्थ की महिमा २१. नाना तीर्थ कथा २२. मंत्ररत्न की कथा २३. त्रिपाद विभूति का कथन २४. मत्स्यादि अवतार कथन २५. श्रीराम का शतनाम एवं तन्माहात्म्य २६. भृगु की विष्णु विभव परीक्षा । फलश्रुति - यह पुराण लिखाकर स्वर्णयुक्त पुराणवित ब्राह्मण को दान करने से अथवा प्रवण करने से वैष्णवधाम की प्राप्ति होती है एवं इसकी अनुक्रमणिका श्रवण करने से समुदाय पुराण-श्रवण का फल लाभ होता है। AK 62 अष्टादश पुराण की उपक्रमणिका ९३९