पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९८८

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2009* नामक युद्ध कथा ५. पिता पुत्र कथा १०. दत्तात्रेय कथा ११. हैहय चरित्र एवं माहात्म्य १२. मदालसा कथा १३. अलर्क चरित्र १४. षष्टी संकीर्तन १५. नवप्रकार पुण्य कथा १६. कतिपय अंतकाल निर्देश १७. पक्षिसृष्टि निरूपण १८. रुद्रादि सृष्टि १९. द्वीप एवं वर्ष कथा २०. मनु कथा और अष्टम मन्वन्तर में देवी माहात्म्य कथा २१. प्रणदोत्त्पत्ति कथा वेद एवं तेज जन्म २२. माकडेय जन्म और माहात्म्य २३. वैवस्वत चरित्र सहित वत्समीर चरित्र २४. खनित्र पुण्य कथा २५. अवक्षत चरित्र २६. किमिच्छव्रत २७. अविनाश चरित्र २८. इक्ष्वाकु चरित्र २९. तुलसी चरित्र ३०. रामचंद्र कथा ३१. कुशवंश आख्यान ३२. सोमवंश की कथा ३३. नहुष की अद्भुत कथा ३४. ययाति चरित्र ३५. यदुवंश कीर्तन ३६. श्रीकृष्ण बाल चरित्र ३७. मथुरा में श्रीकृष्ण चरित्र ३८. द्वारका चरित्र ३९. सकल अवतार कथा ४०. सांख्ययोग उद्देश ४१. प्रपंच एवं असत्य कीर्तन ४२. मार्कंडेय चरित्र ४३. पुराण श्रवण फल । फल श्रुति - यह पुराण लिखाकर सुवर्ण संयुत्त ब्राहमण को दान करने से ब्रह्मपद मिलता है एवं भक्ति पूर्वक श्रवण करने किंवा प्रवण कराने से मार्कंडेयतुल्य गति प्राप्ति और वांछित फल लाभ होता है। अष्टम अग्निपुराण १५००० पंद्रह सहस्र श्लोक ईशानकल्प कथा वशिष्ठ नल उपाख्यान । १. पुराण प्रश्न २. सर्व अवतार कथा ३. सृष्टि प्रकरण कथन ४. विष्णु पूजादि विधि ५. अग्नि पूजा मंत्र और मुद्रादि लक्षण ६. दीक्षा विभान ७. अभिषेक कथन ८. मंडल करण लक्षण ९. कुशमार्जन १०. पवित्रारोपण विधि ११. देवालयकरण विधि १२. शालग्राम पूजा एवं लक्षण कथन १३. प्रतिष्ठा प्रकरण १४. न्यासादि विधि १५. विनायक दीक्षा विधि १६. अन्यान्य कथन १७. देवप्रतिष्ठा विधि १८. ब्रह्मांड निरूपण १९. गंगादि तीर्थ माहात्म्य २०. द्वीप वर्णन २१. उर्द एवं अधोलोक रचना २२. ज्योतिषचक्र निरूपण २३. ज्योतिष शास्त्र वर्णन २४. युद्ध जयकरण शास्त्र २५. षट्कर्म कथा २६. मंत्रयंत्र औषध प्रकरण २७. कुब्धिकादि कथन २८. छ: प्रकार के न्यास की विधि २९. कोटि होम विधान एवं विस्तार निरूपण ३०. ब्रह्मचर्य धर्म ३१. श्रादकल्प विधि ३२. ग्रहयज्ञ ३३. वेदोक्त एवं स्मृत्युक्त कर्म ३४. प्रायश्चित्त कथन ३५. तिथि व्रतादि कथन ३६. बार व्रत ३७. नक्षत्र व्रत ३८. मास व्रत ३९. दीपदान विधि ४०. नूतन व्यूहार्चन प्रकरण ४१. नरक निरूपण ४२. व्रत एवं दान निरूपण ४३. नाड़ी चक्रवर्णन ४४. संध्या विधि ४५. गायत्री अर्थ ४६. शिवलिंग स्तोत्र ४७. शकुन्यादि शुभाशुभ दृष्टि निरूपण ४८. मडलादि निवेश ४९. रणदीक्षा विधि ५०. श्री रामोक्तनीति ५१. रत्नलक्षण ५२. धनुर्विद्या ५३. व्यवहार निरूपण ५४. देवासुर विवर्धन आख्यान ५५. आयुर्वेद निरूपण ५६. गजादि की रोग चिकित्सा एवं आरोग्य कथन ५७. गो अश्वादि की चिकित्सा ५८. नाना पूजा प्रकरण ५९. विविध शांति ६०. छंद शास्त्र ६१. साहित्य शास्त्र ६२. एकार्णवादि शास्त्र समाख्यान ६३. प्रसिद्ध शिष्टानुशासन ६४. धनागार एवं सृष्ट्यादि वर्ग ६५. प्रलय लक्षण ६६. शारीरक निरूपण ६७. नरक वर्णन ६८. योग शास्त्र ६९. ब्रह्मज्ञान ७०. पुराण श्रवण माहात्म्य । फल श्रुति - यह पुराण लिखकर अग्रहायण मांस में सुवर्ण कमल सहित अथवा तिल धेनु सहित पुराणवित ब्राह्मण को दान करने से स्वर्ग लाभ होता है एवं यह पुराण श्रद्धा करके श्रवण करने किंवा श्रवण कराने से सकल पाप क्षय होता है । और भक्ति युक्त होकर इस पुराण अनुक्रमणिका का पाठ करने से सकल पुराण का फल लभ्य होता है। नवम भविष्य पुराण पंच पर्व १४००० चौदह सहस्र श्लोक । अघोरकल्प वृत्तांत । नाना आश्चर्य कथा । प्रथम पर्व ब्राहमण पर्व और द्वितीय तृतीय चतुर्थ एवं पंचम पर्व एकत्र हैं। प्रथम पर्व सूत शौनक संवाद - १. पुराण प्रश्न २. नाना आख्यान युक्त सूर्य चरित्र वर्णन ३. सृष्ट्यादि लक्षण ४. पुस्तक लेखक एवं लिखने का लक्षण ५. सकल प्रकार संस्थान लक्षण ६. प्रतिपदादि तिथि एवं सप्त ७. विष्णु विषय अष्टम्यादि शेष कथा ८. शैव विषय इच्छाधीन भिन्न भिन्न कल्प कथन १ भारतेन्दु समग्र ९४४