पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/१०२

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(८४) भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र हिन्दी तथा वैष्णव परीक्षा हिन्दी की एक परीक्षा इन्होने प्रचलित की थी जो थोडे ही दिन चलकर बन्द हो गई। इस पर एक रिपोट इन्होने राजा शिवप्रसाद इन्स्पेक्टर आफ स्कलस के नाम लिखी थी जो देखने योग्य है। उस रिपोर्ट से इनके हृदय का उमङ्ग और हिन्दी यूनीवसिटी बनाने की बासना तथा देशवासियो के निरुत्साह से उदासीनता प्रत्यक्ष झलकती है। एक परीक्षा वैष्णव ग्रन्थों की भी जारी करनी चाही परन्तु कुछ हुआ नहीं। उसको सूचना यहाँ प्रकाशित होती है। श्रीमद्वैष्णवग्रंथों में परीक्षा वैष्णवो के समाज ने निम्न लिखित पुस्तको मे तीन श्रेणियो मे परीक्षा नियत की है और १५०) प्रथम के हेतु और १५०) द्वितीय के हेतु और ५०) तृतीय के हेतु पारितोषिक नियत है जिन लोगों को परीक्षा देनी हो काशी मे श्रीहरिश्चन्द्र गोकुल- चन्द्र को लिखें नियत परीक्षा तो स० १९३२ के वैशाख शुद्ध ३ से होगी पर बीच मे जब जो परीक्षा देना चाहे दे सकता है।