पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/१०५

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (८७) सोमवार को श्वेत काग्रज पर- _ "श्रीकृष्णचन्द्राय नम" "बन्धुन के पनहिं कहत अध मिलन सब कोय । आपहु उत्तर देहु तो पूरो मिलनो होय ॥" सोमवार का यह दोहा भी छपवाया था- "ससिकुल करव सोम जय, कलानाथ द्विजराज । श्री मुखचन्द्र चकोर श्री, कृष्णचन्द्र महराज॥" मङ्गल को लाल काग्रज पर-- ___"श्रीवन्दाबन सावभौमाय नम" "मङ्गल भगवान विष्णु मङ्गल गरुडध्वजम् । मङ्गल पुण्डरीकाक्ष मङ्गलायतनु हरि ॥" बुध को हरे काग़ज़ पर- “बुधराधित चरणाय नम" "बुध जन दपण मे लखत दृष्ट वस्तु को चित्र । मन अनदेखी वस्तु को यह प्रतिबिम्ब विचित्र ॥" गुरुवार को पीले कागज पर- "श्रीगुरु गोविन्दायनम" "आशा अमत पात्र प्रिय बिरहातप हित छन । बचन' चित्र अवलम्बप्रद कारज साधक पन ॥" शुक्रवार को सफेद कागज पर-- "कविकीर्ति यशसे नम" "दूर रखत करलेत आवरन हरत रखि पास । जानत अन्तर भेद जिय पत्र पथिक रसरास ॥" 2 days U S - 2las sake शनिवार को नीले कागज पर- "श्रीकृष्णायनम" "और काज सनि लिखन मैं होइ न लेखनि मन्द । मिल पन उत्तर अवसि यह बिनवत हरिचन्द ॥"