पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/१२८

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भूलना मत ० अब सिवा इसके रह क्या गया है कि हम लोग उनके उपकारो कोयाद करके ऑसू बहावै, इसलिये यहाँ पर प्राज थोडा सा उनका चरित प्रकाशित करता हूँ, चित्त स्वस्थ होने पर पूरा जीवनचरित छापूगा ज्योकि वह स्वय भविष्य-वाणी कर गये है कि

कहेगे सबही नैन नीर भरि २ पाछ प्यारे हरिचन्द की कहानी रह जायगी ।

मानमन्दिर,

प्यारे के वियोग से निता त दुखी

७-१-८५

व्यास रामशकर शर्मा