पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/१८

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लेखक का वक्तव्य "खड्गविलास" यत्रालय की ढील से उकताए हुए मित्रो के आग्रह से मैने पूज्य भारतेदु बाबू हरिश्चद्र जी के जीवनचरित्र की जो बाते मझे याद आई, उन्हे सरस्वती पत्रिका द्वारा चार वर्ष हुए प्रकाशित किया था, नब से प्राय लोगो का आग्रह उसे पुस्तकाकार छापने का होता रहा परतु अब तक उसका अवसर न पाया। इधर गत कार्तिक मास मे "दिल्ली दरबार चरितावली"१ के लेखक जगदीशपुर जिला शाहाबाद-निवासी बाबू हरिहर प्रसाद जी काशी आए और उन्होने अत्यत ही आग्रह करके अपने सामने ही छपने का प्रबध कराया अतएव इसके छपने के मल कारण उक्त महाशय ही है, इसलिये मै उन्हे धन्यवाद देता हूँ। इस छोटे ग्रथ मे जहाँ तक सामग्री मुझे मिली, मैंने उसका दिग्दर्शन मात्र करा दिया है। सभव है कि बहतेरी आवश्यक बाते इसमे छूट गई हो, क्योकि मेरे पास जो कुछ सामग्री थी उसमे से अविकाश “खडगविलास" यत्रालय के स्वामी स्वर्गवासी बाबू रामदीनसिह जी जीवनी प्रकाश करने की इच्छा से ले गए थे। "सरस्वती" मे जो जीवनी छपी थी उसके पीछे और जिन बातो का पता लगा वे इसमे वढा दी गई है। आशा है कि इससे हिंदी और पूज्य भारतेदु के प्रेमियो को कुछ आनद प्राप्त होगा। १ इस नथ मे भारत सम्राट महाराजाधिराज सप्तम एडवड के राज्याभिषेक महोत्सव के उपलक्ष मे, जो दिल्ली मे दर्बार हुआ था, उसका वृत्त दिल्ली के इतिहास सहित सरल हिदी भाषा मे वरिणत है। उक्त ग्रथ बाबू साहब के पास बाब गलाबचद्र जी की कोठी, दौलतगज, छपरा इस पते से मिलता है।