पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/३

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प्रकाशक की ओर से भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने हिदी के उन्नयन और प्रसार के लिए जो कुछ किया है, उसके लिए हमारा साहित्य-समाज सदैव कृतज्ञ रहेगा। कुछ दिन पूर्व विगत १० सितम्बर को हमने उस साहित्यकार के १२५वें जन्मदिन का महोत्सव सम्पन्न किया है। उस अवसर पर समिति की ओर से घोषणा की गयी थी कि बाबू शिवनदन सहाय तथा उनके परिवार के अभिन्न श्री राधाकृष्ण दास द्वारा लिखी गयी जीवनिया हम हिदीजगत् को पुन उपलब्ध करायेगे। ये दोनो ही ग्रन्थ आज से ७-८ दशक पूर्व प्रकाशित हुए और दोनों का उनके साहित्य तथा उनकी जीवनी की दृष्टि से महत्व है। इन दोनो ही लेखको ने उस व्यक्ति के गुणावगुणो तथा उनके साहित्य को समर्पित जीवन की साधना को अभिव्यक्ति देने के निमित्त इनकी रचना की है। बाबू शिवनन्दन सहाय जी की कृति हम आफसेट पद्धति से मुद्रित कर हिदी जगत् को पिछले वष ही भेट कर चुके हैं। उसी क्रम मे यह ग्रन्थ भी है। हमने इसे भी अविकल रूप में प्रकाशित करने की चेष्टा की है, ताकि पाठको को लेखक की शैली और भाषा का भी परिचय मिले। समिति के अध्यक्ष, आदरणीय नागर जी ने ग्रन्थ की प्रस्तावना के रूप में इस सन्दर्भ मे जो निवेदन किया है, वही हमारा वक्तव्य है। भारतेन्दु के प्रति यही सच्ची श्रद्धाजलि होगी कि हम उनके जीवन की यथार्थता को हार्दिकता के साथ अध्ययन करे और अनुभव करे कि किसी भी कार्य के लिए आत्मार्पण जरूरी है। भारतेन्दु जी के जीवन का यही सन्देश है। हमारे इस आयोजन को सम्बल मिला है, समिति के शुभचिन्तको और साहित्य के उन्नायको से । हम उनके कृतज्ञ है। हम अशोक जी तथा डॉक्टर धीरेन्द्रनाथ सिंह के प्रति भी अनुगृहीत हैं, जिहोने इसके प्रकाशन मे रुचि दर्शित की। डॉक्टर धीरेन्द्रनाथ सिंह ने अपना ही काय समझकर