पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/३०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्न (११) ने किले मे दर्बार किया प्रमीचन्द और कृष्णवल्लभ को ढूंढने की आज्ञा दी। दोनो साम्हने लाए गए। नवाब ने कुछ क्रोध प्रकाश न करके दोनो का यथोचित मादर किया और बैठाया। जो अग्नेज़ बन्दी हुए थे वह एक कोठरी मे रात को रक्खे गए। १४६ अप्रेष थे और १८ फुट की कोठरी मे रक्खे गए थे। इन में से १२३ रात भर मे दम घुट कर मर गए। यह घटना अप्रेजो मे अन्धकूप हत्या के नाम से प्रसिद्ध है, इस कोठरी का नाम ब्लैक होल (Black-hole) प्रसिद्ध है । यह सब बात सिवाय हालवेल साहब के किसी अनेज या मुसल्मान ऐतिहासिक ने नहीं लिखा है इस लिये अक्षय बाबू इसकी सत्यता मे बडा सन्देह करते है। हालवेल साहब अनुमान करते है कि जो निर्दय व्यवहार अमीचन्द के साथ किया गया था उसी के बदला लेने के लिये उन्होने राजा मानिकचन्द से कहकर अग्रेजो की यह दुगति कराई थी, परन्तु धन, कुटुम्ब सब नाश होने पर भी सिफारशी चिट्ठी प्रमीचन्द ने राजा मानिकचन्द के नाम लिख दी थी उसकी बात हालवेल साहब भूल गए। परन्तु अमीचन्द के साथ जो अन्याय बर्ताव किया गया था उसे हालवेल को भी मानना पडा है। हारने पर भी अग्रेजो ने कलकत्ता की आशा नहीं छोडी। पलता मे डेरा डाला। मद्रास से सहायता मांगी। वहाँ से सहायता पाने का समाचार मिला। इधर सिराजुद्दौला ने भी फिर शान्तरूप धारण किया। जहाज तर कौन्सिल बैठी, उसी समय प्रारमनी वणिक के द्वारा अमीचन्द का पत्र अग्रेजो को मिला जिसमे लिखा था "मैं जैसा सदा से था वैसा ही अग्रेजो का भला चाहने वाला अब भी हूँ। आप लोग राजा राज वल्लभ, राजा मानिकचन्द, जगतसेठ, स्वाजा वजीद प्रादि जिससे पत्र व्यवहार करना चाहैं उसका मै प्रबध कर दूंगा। और ____1 But that the hard treatment, I met with, may truly be attributed in a great measure to Omichand's suggestion and insinuations I am well assured from the whole of his subsequent conduct, and this further confirmed me in the three gentlemen selected to be my companions, against each of whom he had conceived particular resentment and you know Omichand can never forgive --Halwell's letter