पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/४

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न केवल इस ग्रन्थ के लिए, बल्कि पूर्व प्रकाशित ग्रन्थ बाबू शिवनन्दन सहाय द्वारा लिखित भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की जीवनी के प्रकाशन में उल्लेखनीय सहयोग किया है। इस ग्रन्थ के अन्त मे उही के यत्न से सन १८८५ में मुद्रित 'चद्रास्त' के भी पृष्ठ जोड दिये गये ह । इससे ग्रन्थ मे पूर्णता आ गयी है और बाबू हरिश्चन्द्र की एक और सक्षिप्त जीवनी, उनकी लोकप्रियता का सकेत करती है। ___ हमे विश्वास है, भारतेन्दु जी की अमर साहित्य-साधना के प्रति श्रद्धाजलि स्वरूप समिति द्वारा प्रकाशित ये ग्रन्य न केवल लोकप्रिय, अपितु प्रेरक भी सिद्ध हागे। हिन्दी भवन, काशीनाथ उपाध्याय 'भ्रमर' लखनऊ, सचिव, हिन्दी समिति २२ जनवरी, १९७६ उत्तर प्रदेश शासन