पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/४२

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (२३) थी, चाँदी का लेन देन जारी था, इससे भाव भी उसका महँगा था और जब से टेककाल बन्द हुमा तब से इसकी बिक्री कम हो गई इससे भाव भी गिर गया। सोने की खरीद कम होने का कारण यह है कि उस समय इस प्रात के लोग सुखी थे और देहाती लोग भी बडा लाभ उठाते थे इसीलिये सोने की बाहरी खरीदारी अधिक होती थी और भाव भी महंगा था। और अब चारो ओर दरिद्रता फैल गई है तो सोना की खरीद कहाँ से हो? २ प्रश्न--क्या कोई ऐसा दस्तूर नियत हुआ है जिससे चॉदी सोना का लेन देन कम होकर हुडी और किसी दूसरे प्रकार का एवज मवावज जारी हुआ है ? उत्तर-सोने चाँदी के बदले में कोई दस्तूर हुण्डी का जारी नहीं हुआ है व्यापार की कमी कि जिसका कारण चौथे प्रश्न के उत्तर में लिखा जायगा और भाव के गिरने से यह कमी हुई है। ३ प्रश्न-टेकसाल बन्द होने से बाहरी सोना चांदी की आमदनी कम हो गई है या नहीं? उत्तर--टेकसाल बन्द हो जाने से एक बारगी बाहरी आमदनी सोना चाँदी की कम हो गई है। ४ प्रश्न-इस बात पर विचार करके लिखिए कि सन् १८१३ व १८१४ से अब तक भाव हुण्डियावन का बडे बडे दिसावरो मे पर्ता फैलाने से कमी के कारण व्यापार मे अन्तर पडा है, या सन् १८१८ व १८१९ मे सोना चाँदी की आमदनी की कमी से ? उत्तर--सन् १८१३ से १८२० व १८२२ तक इस प्रात के लोग बडा लाभ उठाते थे। और हर तरह का रोजगार जारी था। और भाव हुण्डियावन उस सन् से अब कम नहीं है। वरन् अधिक है, यद्यपि उन सनो मे बनारस के पुराने सिक्के की चलन थी जिसकी चाँदी मे बट्टा नहीं था जब से फर्रुखाबादी सिक्का चला उसके बट्टा के कारण हुण्डियावन का भाव हर देसावर मे बढ गया। हाँ, इन दिनो अवश्य फर्रुखाबादी