पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/४६

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (२७) विवाह बाबू हर्षचन्द्र को एक पुत्र के अतिरिक्त दो कन्या भी हुई बडी का नाम यमुना बीबी (जन्म भादो ब०८, स० १८६२) और छोटी गङ्गा बीबी (जन्म भादो ब० ४ स० १८९४)। बाब हषचन्द्र ने अपनी तीन सन्तानो में से दो का विबाह अपने हाथो किया। पहिले यमुना बीबी का पीछे बाबू गोपालचद्र का । गङ्गा बीबी का विवाह बाबू गोपालचन्द्र के समय में हुआ। यमुना बीबी का विवाह काशी के प्रसिद्ध रईस, राजा पट्टनीमल बहादुर के पौत्र राय नसिंहदास से हुआ। राजा पट्टनीमल, पटने के महाराज ख्यालीराम बहादुर के पौत्र थे। यह महाराज ख्यालीराम बिहार के नायब सूबेदार थे। इनका सविस्तार वृत्तान्त बङ्गाल और विहार के इतिहासो मे मिलता है। राजा पट्टनीमल ऐसे प्रतापी हुए कि ये छोटी ही अवस्था मे पिता से कुछ अप्रसन्न होकर चले पाए और फिर लखनऊ गए। वहाँ उस समय अगरेज गवन्मेण्ट से और नवाब लखनऊ से सुलह की शर्तं ते हो रही थीं। परन्तु नवाब के चालाक अनुचरवर्ग कभी कुछ कह देते, कभी कुछ, किसी तरह बात ते न होने पाती। निदान उन शर्तों को तै करने के लिये राजा पट्टनीमल नियत किए गए। इन्होने पहिले ही यह नियम किया कि हम जुबानी कोई बात न करेंगे, जो कुछ हो लिख करते हो। अब तो कोई कला उन लोगो को न चलने लगी। नवाब की ओर से राजा साहब के उस्ताद मौलवी साहब भेजे गए । राजा साहब ने उनका बडा आदर सत्कार किया और पूछा क्या आज्ञा है। मौलवी साहब ने एक लाख रुपए की अफिएँ राजा साहब के आगे रख दी और कहा कि आप नवाब पर रहम करै । हिन्दू मुसलमान तो एक ही हैं, ये फरङ्गी परदेसी हमारे कौन होते हैं। सुलहनामे मे नवाब के लाभ की ओर विशेष ध्यान रक्खै, अथवा आप इस काम से अलग ही हो जाँय । राजा साहब ने बहुत ही अदब के साथ निवेदन किया कि आप उस्ताद हैं, आपको उचित है कि यदि मै कोई अनुचित काय करूँ तो मुझे ताडना दें, न कि माप स्वय ऐसा उपदेश मुझे दें। यह सेवकधमविरुद्ध काम मुझसे कभी न होगा और देशी तथा विदेशी क्या, हमारे लिये तो जब विदेशी की सेवा स्वीकार कर ली,