पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/९०

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(७२) भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र "राजघाट पर बँधत पुल जहा कुलीन की ढेर । आज गए कल देख के आजहि लौटे फेर ॥" __इस प्रकार से कितनो का क्या क्या सत्कार किया इसका ठिकाना नहीं। परन्तु कुछ गुणियो के गुण का यहाँ पर वर्णन करना परमावश्यक है, क्योकि ऐसे अद्भुत गुणो का भारतवासियो मे होना परम गौरव की बात है। अब वे गुणी नहीं है, परन्तु उनको कीर्ति इतिहास मे रहनी चाहिए। सुप्रसिद्ध विद्वान् भारत- मातण्ड श्री गटू लाला जी की विद्वत्ता, प्राशु कविता और शतावधान आदि पाश्चय शक्तिये जगत प्रसिद्ध हैं, उसका वर्णन निष्प्रयोजन है। इन गटटू लालाजी के सम्मान मे इन्होने काशी मे महती सभा की थी, जिसमे यूरोपीय विद्वान् भी प्राकर अच- म्भित हुए थे। एक दक्षिणी विद्वान् आए थे, नका नाम नारायण मार्तण्ड था, इनकी गणित मे विलक्षण शक्ति थी, गणित के ऐसे बडे बडे हिसाब जिनको अच्छे अच्छे विद्वान पॉच चार दिन के परिश्रम मे भी नहीं कर सकते, उन्हें यह पाँच मिनिट के भीतर करते थे और विशेषता यह थी कि उसी समय कोई उनके साथ ताश खेलता, कोई शतरञ्ज, कोई चौसर, कोई उनको बकवाता और तरह तरह के प्रश्न करता जाता परन्तु इन सब कामो के साथही वह मन ही मन हिसाब भी कर डालते और वह हिसाब अभ्रान्त होता । इनका बाबू साहब के कारण काशी मे बडा आदर हुआ। काशिराज ने भी इन्हें आदर दिया था। एक मद्रासी ब्राह्मण वेङ्कट सुप्पैया- चार्य पाए थे, इनका गुण दिखाने के लिये अपने बाग रामकटोरा मे सभा की थी। उसमे बनारस कालिज के प्रिन्सिपल ग्रिफिथ साहब तथा अन्य यूरोपीय और देशीय सज्जन एकत्रित थे। धनुविद्या के आश्चर्य गुण इन्होने दिखाए । अपनी आँखो मे पट्टी बाँधकर उस तीक्ष्ण तीर से जिससे लोहे की मोटी चादरों मे छेद हो जाय, एक व्यक्ति की प्रॉख पर तिनका बाँध कर उसमे मोम से दुअन्नी चपकाकर केवल शब्द पर बाण मारा, दुअनी उड गई और तिनका ज्यो का त्यो रहा, जैसे अर्जुन ने महाभारत मे जयद्रथ का सिर तीरो के द्वारा उडाकर उसके पिता के हाथ मे गिराया था, वैसेही इन्होने एक नारङ्गी को तीरो के द्वारा उडाया और लगभग तीस चालीस कोस की दूरी पर खडे एक मनुष्य के हाथ मे गिरा दिया, अंगूठी को कूए मे फेंककर बीच ही से तीरो के द्वारा रहट की भाँति उसे बाहर ला गिराया, निदान ऐसे ही पाश्चर्य तमाशे किए थे। यूरोपियनों ने मुक्तकठ हो कहा था कि महाभारत मे लिखी बातें इस को देखकर सच्ची जान पड़ती हैं। एक पहलवान तुलसीदास बाबा पाए थे, इनका कौतुक नार्मल स्कूल मे कराया था। हाथी बाँधने का सूत