पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/१४०

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पूर्वज-गण १२६ कॉलेज के डाइटन साहब के विषय में, जो कमीशन के एक सभ्य थे, इन्होंने कुछ ऐसी बातें लिखी थीं, जिससे जे० ई० वॉर्ड साहब ने इन्हें लिखा कि 'आपकी साक्षी ऐसी उत्तम है कि मुझे खेद होगा यदि केवल इसी बात के कारण कमिश्नरों में अरुचि हो, इसलिए यदि आप मुझे आज्ञा दें तो मैं इस अंश को निकाल दें।" इनके इस सप्रमाण लिखे गये अंश की सत्यता शीघ्र ही ज्ञात हो गई तब उक्त साहब ने पुनः इन्हें लिखा कि 'आगरा कॉलेज के बारे में जो बातें मुझे अब ज्ञात हुई हैं यदि हम उन्हें पहिले जानते तो इस विषय में आपने जो अपनी साक्षी में लिखा था उसे निकाल देने का आग्रह न करते।' इस साक्षी के विषय में सुप्रसिद्ध अँग्रेज़ी पत्र 'रईस ऐंड- रअइत' ( ७ जुलाई सन् १८८३ ई०) के संपादक स्वर्गीय शंभू- चरण मुकर्जी लिखते हैं कि यह रोचक बातों से भरी हुई है और इससे सिद्ध होता है कि जिन विषयों पर इन्होंने लिखा है उन्हें यह पूर्ण रूप से समझे हुए हैं। पश्चिमोत्तर देश में शिक्षा की उन्नति की चाल को यह अवश्य ही बड़ी सावधानता से देखते गए हैं इस विषय में इनकी जो जानकारी देखी जाती है वह वर्षों के मनन, विचार, अनुसन्धान तथा निज अनुभव का परिणाम है । इन्होंने अपनी सम्मतियाँ बहुत स्पष्ट करके लिखी हैं और जो बातें साधारण प्रवादों के विरुद्ध हैं उनको यह प्रमाणों तथा तर्क से पुष्ट करते गए हैं। जिस स्वतंत्रता से इन्होंने इस विषय का प्रतिपादन तथा समर्थन किया है वह इन्हीं के उपयुक्त है।" इनको शिक्षा-विषयक ज्ञान प्राप्त करने के अनेक साधन प्राप्त थे। ये स्वयं बहु भाषा विज्ञ थे, सुकवि तथा सुलेखक थे। इन्होंने कई पत्र स्वयं निकाले थे, जिससे यह पत्रकार कलाविद् भी थे। ६