पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/२४८

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[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कर लगाने पर लिखा गया था, पूरा प्रकाशित किया गया है। काशी के अनेक मंदिरों तथा मस्जिदों पर के लेखों का भी इसमें संग्रह किया गया है। 'चरितावली' इनकी सबसे बड़ी ऐतिहासिक रचना है । इसमें विक्रम, कालिदास, रामानुज, शंकराचार्य, जयदेव, पुष्पदेवाचार्य, वल्लभाचार्य, सूरदास, सुकरात, नेपोलियन, जंगबहादुर, द्वारिका नाथ जज, राजाराम शास्त्री, लार्ड मेयो, लारेंस और जार अलेकलैंडर द्वितीय की जीवनियाँ हैं । अंत में फ्रांस के फ्रांसिस प्रथम तथा नेपोलियन तृतीय, जर्मनी के चार्ल्स पंचम तथा फ्रेड- रिक. विलिअम, मल्हारराव, टीपू-सुलातान, सिकंदर और रावण की आठ कुण्डलियाँ भी दी गई हैं । ये सब जीवनचरित्र बड़ी खोज और छानबीन से लिखी गई हैं। 'पंचपवित्रात्मा' में मुसल्मान धर्म के प्रवर्तक मुहम्मद, अली, बीबी फातमा, इमामहसन और इमामहुसेन की जीवनियाँ दी गई हैं। अंत में एक तालिका देकर मुहम्मद से गौस आज़म तक इक्कीस इमामों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है। 'दिल्ली दरबार-दर्पण' में सन् १८७७ ई० के दरबार का विशद वर्णन है जो क्वीन विक्टोरिया के भारत-साम्राज्ञी पदवी धारण करने के उपलक्ष में लार्ड लिटन के नेतृत्व में हुआ था। समय के साथ इसका महत्त्व बढ़ता जायगा । 'कालचक्र' में सष्टि के प्रारम्भ से सन् १८८४ ई० तक की संसार-प्रसिद्ध घटनाओं का समय दिया गया है । अंत में जयपुर तथा भरतपुर के राजाओं के नाम उनके राज्यकाल के साथ दिए गए हैं। इन रचनाओं के देखने से यह अवश्य कहा जा सकता है कि भारतेन्दु जी इतिहासज्ञ तथा पुरातत्ववेत्ता थे। इस कार्य