पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/४६

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w पूर्वज-गण सन् १८३४ ई० में कंपनी की ओर से काशी के महाजनों से व्यापार की अवस्था तथा सोना-चाँदी की खपत की कमी के कारण पूछे गये थे, जिसका उत्तर इन्होंने दिया था। बा० राधा- कृष्ण दास ने प्रश्न तथा उत्तर स्वलिखित भारतेन्दु की जीवनी में प्रकाशित किया है, जिसको तत्कालीन देश-दशा का कुछ चित्रण समझ यहाँ ज्यों का त्यों उद्धृत किया जाता है। १ प्रश्न-१८१६ ई० से चाँदी और सोना की खरीद कम हुई है या अधिक और इसका कारण क्या है ? उत्तर-सन् १८१६ ई० से चाँदी और सोने की खरीद बहुत कम हो गई है। चाँदी की खरीद में कमी का कारण यह है कि जब बनारस में टकसाल जारी थी, चाँदी का लेन-देन जारी था, इससे भाव भी उसका मँहगा था। और जबसे टकसाल बन्द हुई तबसे इसकी बिक्री कम हो गई इससे भाव भी गिर गया। सोने की खरीद कम होने का कारण यह है कि उस समय इस प्रान्त के लोग सुखी थे और देहाती लोग भी बड़ा लाभ उठाते थे, इस लिये सोने की बाहरी खरीदारी अधिक होती थी और भाव भी मँहगा था। और अब चारों ओर दरिद्रता फैल गई है, तो सोने की खरीद कहाँ से हो। २ प्रश्न-क्या कोई ऐसा दस्तूर नियत हुआ है जिससे चाँदी- सोना का लेन-देन कम होकर हुडी और किसी दूसरे प्रकार का एवज-मवावजः जारी हुआ है ? उत्तर-सोने-चाँदी के बदले में कोई दस्तूर हुडी का जारी नहीं हुआ है, व्यापार की कमी, कि जिसका कारण चौथे प्रश्न के उत्तर में लिखा जायगा और भाव के गिरने से यह कमी हुई है। ३ प्रश्न-टकसाल बन्द होने से बाहरी सोना-चाँदी की आम- दनी कम हो गई है या नहीं ? ३