पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/४७

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३४ भारतेंदु हरिश्चन्द्र उत्तर-टकसाल बन्द हो जाने से एकबारगी बाहरी आम- दनी सोना-चाँदी की कमी हो गई है। ४ प्रश्न-इस बात पर विचार करके लिखिए कि सन् १८१३ व १८१४ से अब तक का हुँडियावन का बड़े-बड़े हिसाबों में पर्ता फैलने से कमी के कारण व्यापार में अन्तर पड़ा है, या सन् १८१८ वा १८१६ में सोना-चाँदी की आमदनी की कमी से ? उत्तर-सन् १८१३ से १८२० वा १८२२ तक इस प्रांत के लोग बड़ा लाभ उठाते थे। और हर तरह का रोजगार जारी था। और भाव हुँडीयावन उस सन् से अब कम नहीं है। वरन् अधिक है, यद्यपि उन सबों में बनारस के पुराने सिक्के की चलन थी जिसकी चाँदी में बट्टा नहीं था । जब से फर्रुखाबादी सिक्का चला उसके बट्टा के कारण हुँडियावन का भाव हर देसावर में बढ़ गया । हाँ इन दिनों अवश्य फर्रुखाबादी सिक्का जारी रहने पर भी भाव हुँडियावन गिर गया है, रोजगार की कमी के कारण नीचे निवेदन करता हूँ। १-परम उपकारी कंपनी बहादुर की सरकार से कि जो उपकार का भंडार और प्रजापोषण की खानि है सूद की कमी हो गई कि सन् ८११० तक सब लोग सर्कार में रुपया जमा करके छः रुपया सैकड़ा वार्षिक सूद लेते थे और पाँच रुपये से होते-होते चार रुपये तक नौबत पहुँच गई । प्रजा का काम कैसे चले ? २-अँगरेज़ साहबों के कारबार बिगड़ जाने से, कि जिनकी ओर से हर जिलों में नील की बड़ी खेती होती थी और उससे जमीदारों को बड़ा लाभ होता था, ज़मीदारों को कष्ट है और खेती पड़ी रह गई। ३-अदालत के अप्रबन्ध और रुपया के वसूल होने में