पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पूर्वज-गण ३५ अदालत के डर के कारण कारबार देन-लेन महाजनी कि जिससे सूद का अच्छा लाभ था एक दम बंद हो गया। ४-साहब लोगों के बहुत से हाउस बिगड़ जाने से बहुतेरे हिन्दुस्तानियों के काम, लाखों रुपया मारे जाने के कारण बन्द हो जाने से दूसरा काम भी नहीं कर सकते। ५-विलायत से असबाब आने और सस्ता बिकने के कारण यहाँ के कारीगरों का सब काम बन्द और तबाह हो गया। ६-सर्कार की ओर से इस कारण से कि विलायत में रूई पैदा न हुई , यहाँ से रुई की खरीद हुई इससे भी कुछ लाभ था पर वह भो बन्द हो गई इन्हीं कारणों से रोजगार में कमी हो ५ प्रश्न-चलन के रुपया की रोज़गार के काम में आमदनी कलकत्ता से होती है या नहीं, यदि होती है तो उसका खर्च अनु- कूल और प्रतिकूल समय में क्या पड़ता है ? उत्तर-कलकत्ता से बहुत रुपया चालान नहीं पाता और यदि कुछ रुपया आता है तो लाभ नहीं होता बरञ्च बीमा और सूद की हानि के कारण घाटा पड़ता है इसी से रुपया के बदले में हुडी का आना-जाना जारी है। द० बा० हर्षचंद ता० २६ जुलाई सन् १८३४ ई० बा० हर्षचंद जी ने श्री जगन्नाथ जी का दर्शन करने को पुरी की यात्रा की थी और कलकत्ते में एक दिन प्रसिद्ध लाला बाबू के यहाँ मेहमान भी रहे थे। उनके 'श्रीकृष्ण चन्द्रमा जी' के मंदिर में प्रभूत ऐश्वर्य था । इनकी उपस्थिति में ही बालभोग का प्रसाद सौ ब्राह्मण एक ही प्रकार का उपरना पहिरे हुये चाँदी ही के थालों में लाए थे जो सब फलाहारी था।