पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/४९

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३६ भारतेंदु हरिश्चन्द्र बा० हर्षचंद के दो विवाह हुए थे। पहिला विवाह चंपतराय अमीन की पुत्री से हुआ था, जिनका उस समय ऐसा ऐश्वर्य था कि सोने के बरतन बरते जाते थे। अब चंपतराय अमीन के बाग के सिवा इनका कोई चिन्ह नहीं रह गया। इस विवाह से इन्हें कोई संतान नहीं हुई। इनका दूसरा विवाह बा० बृन्दावन दास की लड़की श्यामा बीबी से हुआ, जिनसे इन्हें पांच संतान हुई। दो कन्याएँ बचपन ही में जाती रहीं, शेप तीन का वंश चला। इन्हीं बा० बृन्दावनदास से कोल्हुआ और नाटी इमलीवाले दोनों बारा मिले थे, जिन्हें इन्होंने श्रीगिरिधर जी महाराज को भेंट में दे दिये थे। दूसरे विवाह से भी दो कन्याएँ ही होने पर तथा अवस्था अधिक हो जाने से यह पुत्र के लिए कुछ दुःखित रहते थे। एक दिन श्रीगिरिधर जी महाराज ने इन्हें इस प्रकार उदास मुख देख कर प्रश्न किया और कारण जानने पर कहा कि तुम जी छोटा न करो, इसी वर्ष पुत्र होगा। उसी वर्ष मिती पौष कृष्ण १५ सं० १८६० को कवि बा० गोपालचन्द्र का जन्म हुआ। इस कारण तथा गुरु में अटल भक्ति रखने ही से इन्होंने कविता में अपना उपमाम गिरिधरदास रखा था। इसके अनन्तर इन्हें दो कन्याएँ हुई। बा० हर्षचंद की प्रथम पुत्री यमुना बीबी का जन्म भाद्रपद कृष्ण ८ सं० १८६२ को ओर छोटी पुत्री गंगा बीबी का जन्म भाद्रपद कृष्ण ४ सं० १८६४ वि० को हुआ था। पुत्र तथा पहिली पुत्री का तो इन्होंने स्वयं विवाह किया था और गंगा बीबी का उसके बाद बा० गोपालचन्द्र ने किया था। यमुना बीबी का विवाह राजा पट्टनीमल बहादुर के पौत्र राय नृसिंहदास से हुआ था, जिसके एकमात्र पुत्र राय प्रह्लाददास हुए । इनकी एक कन्या सुभद्रा