पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/५०

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पूर्वज-गण बीबी थीं जिनका विवाह साव घराने के एक रईस बा० बैद्यनाथ प्रसाद से हुआ था। इनके पुत्र यदुनाथ प्रसाद उर्फ भैया जी थे, जिनके दो पुत्र -अद्वैत प्रसाद और जाताय प्रसाद वर्तमान हैं। राय प्रह्लाददास के पुत्र राय कृष्णदास जी खड़ो बोलो के सुकवि तथा चित्रकला के अच्छे ज्ञाता हैं। दूसरी कन्या गंगा बीबी का विवाह बा० गोपालचन्द्र जी के समय मिर्जापुर के एक रईस बा० कल्याणदास से हुआ था । इन्हें दा पुत्र ओर एक कन्या हुई जिनका नाम बा० जीवनदास, बा० राधाकृष्णदास और लक्ष्मी देवी था। प्रथम बचपन ही में जाते रहे, द्वितीय हिन्दी के सुप्रसिद्ध लेखक. और कवि हुए, जिनकी जीवनी काशी नागरी-प्रचारिणी सभा द्वारा अकाशित की गई है। इनके एक पुत्र बा० बालकृष्णदास वर्तमान है। बा० गोपालचन्द्र का विवाह दीवान राय खिरोधरलाल की कन्या पार्वती देवी से सं० १६०० में बड़े समारोह के साथ हुआ था । बारात इतनी लम्बी निकली थी कि वर घर ही पर था कि बारात का निशान समधी साहब के शिवाला वाले घर तक जा पहुँचा था, जो इनके गृह से तीन मील दूर था। राय साहब ने भी आदर-सत्कार में खूब उदारता दिखलाई थी, वहां तक कि कूओं में चीनी के बोरे छुड़वा दिये थे। बा० हर्षचन्द को भी हिन्दी से बड़ा प्रेम था और 'गिरिधर- चरिर्षामृत' के प्रणेता बा० हरिकृष्णदास टकसाली ने लिखा है कि ये कविता भी करते थे, पर अब तक उनकी कविता का अंश- मात्र भी देखने में नहीं आया। बा० हर्षचन्द जी का स्वर्गवास ४२ वर्ष की अवस्था में सं० १६०१ वि० के वैशाख कृष्ण १३ को हुआ। उस समय इनके पुत्र बा० गोपालचन्द्र जी की अवस्था ग्यारह वर्ष की थी, इस लिए अपनी मृत्यु के दस दिन पहिले इन्होंने वैशाख बदी ३, सं० १६०१