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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ८५–८९

संसद् के सत्त्
सत्ता्बसान और
विघटन
[१][८५. (१) राष्ट्रपति समय समय पर संसद् के प्रत्येक सदन को, ऐसे समय तथा स्थान पर, जैसा कि वह उचित समझे, अधिवेशन के लिये आहूत करेगा, किन्तु उसके एक सत्त् की अन्तिम बैठक और आगामी सत्त् की प्रथम बैठक के लिये नियुक्त तारीख के बीच छः मास का अंतर न होगा।

(२) राष्ट्रापति समय समय पर—
(क) सदनों या किसी सदन का सत्ता्वसान कर सकेगा,
(ख) लोक-सभा का विघटन कर सकेगा।]

सदनों को सम्बोधन
करने और संदेश
भेजने का राष्ट्र-
पति का अधिकार
८६. (१) संसद् के किसी एक सदन को, अथवा साथ समवेत दोनों सदनों को, राष्ट्रपति सम्बोधित कर सकेगा तथा इस प्रयोजन के लिये सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकेगा।

(२) राष्ट्रपति संसद् में उस समय लम्बित किसी विधेयक विषयक अथवा अन्य विषयक सन्देश संसद् के किसी सदन को भेज सकेगा तथा जिस सदन को कोई सन्देश इस प्रकार भेजा गया हो वह सदन उस सन्देश द्वारा अपेक्षित विचारणीय विषय पर यथासुविधा शीघ्रता से विचार करेगा।

संसद् के प्रत्येक
सत्ता्रम्भ में
राष्ट्रपति का
विशेष अभि-
भाषण
८७. (१) [२][लोक-सभा के लिये प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्त् के आरम्भ में तथा प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्त् के आरम्भ में] साथ समवेत संसद के दोनों सदनों को राष्ट्रपति सम्बोधन करेगा तथा संसद् को उस के आह्वान का कारण बतायेगा।

(२) प्रत्येक सदन की प्रक्रिया के विनियामक नियमों से ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के हेतु समय रखने के लिये [३]* * * उपबन्ध किया जायेगा।

सदनों विषयक
मंत्रियों और
महान्यायवादी के
अधिकार
८८. भारत के प्रत्येक मंत्री और महान्यायवादी को अधिकार होगा कि वह किसी भी सदन में सदनों की किसी भी संयुक्त बैठक में, तथा संसद की किसी समिति में, जिसमें उसका नाम सदस्य के रूप में दिया गया हो, बोले तथा दुसरे प्रकार से कार्यवाहियों में भाग ले, किन्तु इस अनुच्छेद के आधार पर उसको मत देने का हक्क न होगा।

संसद् के पदाधिकारी

राज्य-सभा के
सभापति और
उपसभापति
८९. (१) भारत का उपराष्ट्रपति पदेन राज्य सभा का सभापति होगा।

(२) राज्य सभा यथासम्भव शीघ्र अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब जब उपसभापति का पद रिक्त हो तब तब किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।


  1. संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, १९५१, धारा ६ द्वारा मूल अनुच्छेद के स्थान पर रखा गया।
  2. संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, १९५१, धारा ७ द्वारा "प्रत्येक सत्त् के आरम्भ में" के स्थान पर रखे गये।
  3. "तथा सदन के अन्य कार्य पर इस चर्चा को पूर्ववर्तिता देने के लिये" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लूप्त कर दिये गये।

8—1 M. of Law/57