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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ९७-१००

सभापति और उप-
सभापति तथा
अध्यक्ष और उपा-
ध्यक्ष के वेतन
और भत्ते
९७. राज्य सभा के सभापति और उपसभापति को, तथा लोक-सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को, ऐसे वेतन और भत्ते, जैसे क्रमशः संसद् विधि द्वारा नियत करे, तथा जब तक उसके लिये उपबन्ध इस प्रकार न बनें तब तक ऐसे वेतन और भत्ते, जैसे कि द्वितीय अनुसूची में उल्लिखित है, दिये जायेंगे।

संसद् का सचिवालय ९८. (१) संसद् के प्रत्येक सदन का अपना पृथक् साचविक कर्मचारी-वृन्द होगा :

परन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं किया जायेगा कि वह संसद् के दोनों सदनों के लिये सम्मिलित पदों के सृजन को रोकती है।

(२) संसद् विधि द्वारा, संसद् के प्रत्येक सदन के साचविक कर्मचारी-वृन्द में भर्ती का तथा नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का, विनियमन कर सकेगी।

(३) खंड (२) के अधीन जब तक संसद् उपबन्ध नहीं करती तब तक राष्ट्रपति, यथास्थिति, लोक-सभा के अध्यक्ष से, या राज्य सभा के सभापति से परामर्श कर के लोक सभा के या राज्य सभा के साचविक कर्मचारी-वृन्द में भर्ती के, तथा नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के, विनियमन के लिये नियमों को बना सकेगा तथा इस प्रकार बने कोई नियम उक्त खंड क अधीन बनी किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रह कर ही प्रभावी होंगे।

कार्य संचालन

सदस्यों द्वारा शपथ
या प्रतिज्ञान
९९. संसद के प्रत्येक सदन का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पूर्व, राष्ट्रपति के अथवा राष्ट्रपति द्वारा उस लिये नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तृतीय अनुसूची में प्रयोजन के लिये दिये हुए प्रपत्र के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा तथा उस पर हस्ताक्षर करेगा।

सदनों में मतदान
रिक्तताओं के
होते हुए भी
सदनों की कार्य
करने की शक्ति
तथा गणपूर्ति
१०० (१) इस संविधान में अन्यथा उपबन्धित अवस्था को छोड़ कर किसी सदन की किसी बैठक में अथवा सदनों की संयुक्त बैठक में सब प्रश्नों का निर्धारण, अध्यक्ष या सभापति अथवा अध्यक्ष रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति को छोड़ कर उपस्थित तथा मत देने वाले अन्य सदस्यों के बहुमत से किया जायेगा।

सभापति या अध्यक्ष अथवा उसके रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति प्रथमतः मत न देगा, किन्तु मतसाम्य की अवस्था में उसका निर्णायक मत होगा और वह उसका प्रयोग करेगा।

(२) सदस्यता में कोई रिक्तता होने पर भी संसद् के किसी सदन को कार्य करने की शक्ति होगी, तथा यदि बाद में यह पता चले कि कोई व्यक्ति, जिसे ऐसा करने का हक्क न था, कार्यवाहियों में उपस्थित रहा, उसने मत दिया अथवा अन्य प्रकार से भाग लिया, तो भी संसद में की गई कार्यवाही मान्य होगी।