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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ १००–१०१

(३) जब तक संसद् विधि द्वारा अन्यथा उपबन्धित न करें तब तक संसद् के प्रत्येक सदन का अधिवेशन गठित करने के लिये गणपूर्ति सदन के सदस्यों की सम्पूर्ण संख्या का दशांश होगी।

(४) यदि सदन के अधिवेशन में किसी समय गणपूर्ति न तो सभापति या अध्यक्ष अथवा उसके रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति का कर्तव्य होगा कि वह या तो सदन को स्थगित कर दे या अधिवेशन को तब तक के लिये निलम्बित कर दे जब तक कि गणपूर्ति न हो जाये।

सदस्यों की अनर्हताएँ

स्थानों की रिक्तता १०१. (१) कोई व्यक्ति संसद् के दोनों सदनों का सदस्य न होगा तथा जो व्यक्ति दोनों सदनों का सदस्य निर्वाचित हुआ है उसके एक या दूसरे सदन क स्थान को रिक्त करने के लिये संसद् विधि द्वारा उपबन्ध बनायेगी।

(२) कोई व्यक्ति संसद् तथा [१]* * * किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन, इन दोनों का सदस्य न होगा तथा यदि कोई व्यक्ति संसद् तथा [२]* * * किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन, इन दोनों का सदस्य चुन लिया जाये तो ऐसी कालावधि की समाप्ति के पश्चात्, जो कि राष्ट्रपति द्वारा बनाये गये [३]नियमों में उल्लिखित हो, संसद् में ऐसे व्यक्ति का स्थान रिक्त हो जायेगा यदि उसने राज्य के विधान-मंडल में के अपने स्थान को पहिले ही त्याग न दिया हो।

(३) यदि संसद् के किसी सदन का सदस्—

(क) अनुच्छेद १०२ के खंड (१) में वर्णित अनर्हताओं में से किसी का भागी हो जाता है, अथवा
(ख) यथास्थिति सभापति या अध्यक्ष को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपने स्थान का त्याग कर देता है,

तो ऐसा होने पर उसका स्थान रिक्त हो जायेगा।

(४) यदि संसद् के किसी सदन का सदस्य साठ दिन की कालावधि तक सदन की अनुज्ञा के बिना उसके सब अधिवेशनों से अनुपस्थित रहे तो सदन उसके स्थान को रिक्त घोषित कर सकेगा :

परन्तु साठ दिन की उक्त कालावधि की संगणना में किसी ऐसी कालावधि को सम्मिलित न किया जायेगा जिस में सदन सत्तावसित अथवा निरन्तर चार से अधिक दिनों के लिये स्थगित रहा है।


  1. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित" शब्द और अक्षर संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  2. "ऐसे" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिया गय।
  3. 'देखिये, विधि मंत्रालय अधिसूचना संख्या एफ॰ ४६ / ५०—सी, तारीख २६ जनवरी, १९५०, के साथ भारत के आसाधारण ग़जट के पृष्ठ ६७८ पर प्रकाशित समसामयिक सदस्यता प्रतिषेध नियम १९५०।