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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ १०८–१०९

तो लोक-सभा के विघटन होने के कारण यदि विधेयक व्यपगत नहीं हो गया है, तो विधेयक पर पर्यालोचन करने और मत देने के प्रयोजन के लिये संयुक्त बैठक में अधिवेशित होने के लिये आहूत करने के अभिप्राय की अधिसूचना सदनों को, यदि वे बैठक में हैं तो संदेश द्वारा, अथवा यदि बैठक में नहीं हैं तो लोक अधिसूचना द्वारा, राष्ट्रपति देगा :

परन्तु इस खंड में की कोई बात किसी धन विधेयक को लागू न होगी।

(२) ऐसी किसी छः मास की कालावधि की संगणना में, जो कि खंड (१) में निर्दिष्ट है, किसी ऐसी कालावधि को सम्मिलित न किया जायेगा जिसमें उक्त खंड के उपखंड (ग) में निर्दिष्ट सदन सत्तावसित अथवा निरन्तर चार से अधिक दिनों के लिये स्थगित रहता है।

(३) सदनों को संयुक्त बैठक में अधिवेशित होने के लिये आहूत करने के अभिप्राय को जब राष्ट्रपति खंड (१) के अधीन अधिसूचित कर चुका हो, तो कोई सदन विधेयक पर आगे कार्यवाही न करेगा, किन्तु राष्ट्रपति अधिसूचना की तारीख के पश्चात् किसी समय सदनों को अधिसूचना में उल्लिखित प्रयोजन के लिये संयुक्त बैठक में अधिवेशित होने के लिये आहूत कर सकेगा तथा यदि वह ऐसा करता है तो सदन तदनुसार अधिवेशित होंगे।

(४) यदि सदनों की संयुक्त बैठक में विधेयक ऐसे संशोधनों सहित, यदि कोई हों, जिनको संयुक्त बैठक में स्वीकार कर लिया गया है, दोनों सदनों के उपस्थित तथा मत देने वाले समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित हो जाता है तो इस संविधान के प्रयोजनों के लिए वह दोनों सदनों से पारित समझा जायेगा :

परन्तु संयुक्त बैठक में—

(क) यदि विधेयक एक सदन से पारित होकर दूसरे सदन द्वारा संशोधनों सहित पारित नहीं किया गया है तथा उस सदन को, जिसमें वह आरम्भित हुआ था, लौटा नहीं दिया गया है तो ऐसे संशोधनों के सिवाय (यदि कोई हों), जो कि विधेयक के पारण में देरी के कारण आवश्यक हो गये हैं, विधेयक पर कोई और संशोधन प्रस्थापित न किया जायेगा;
(ख) यदि विधेयक इस प्रकार पारित और लौटाया जा चुका है तो विधेयक पर केवल ऐसे संशोधन, जैसे कि ऊपर कथित हैं, तथा ऐसे अन्य संशोधन, जो उन विषयों से सुसंगत हैं जिन पर सदनों में सहमति नहीं हुई है, प्रस्थापित किये जायेंगे;

और पीठासीन व्यक्ति का विनिश्चय, कि इस खंड के अधीन कौन से संशोधन प्रवेश्य हैं, अन्तिम होगा।

(५) सदनों को संयुक्त बैठक में अधिवेशित होने के लिये आहूत करने के अभिप्राय की राष्ट्रपति की अधिसूचना के पश्चात्, यद्यपि लोक-सभा का विघटन बीच में हो चुका है तो भी, इस अनुच्छेद के अधीन संयुक्त बैठक हो सकेगी तथा उसमें विधेयक पारित हो सकेगा। धन-विधेयकों विष-
यक विशेष प्रक्रिया

१०९. (१) राज्य सभा में धन-विधेयक पुरःस्थापित न किया जायेगा।

(२) लोक-सभा से पारित हो जाने के पश्चात्, धन विधेयक, राज्य-सभा को, उसकी सिपारिशों के लिये पहुँचाया जायेगा तथा राज्य-सभा, विधेयक की अपनी प्राप्ति की तारीख से चौदह दिन की कालावधि के भीतर, विधेयक को अपनी सिपारिशों सहित लोक-सभा को लौटा देगी तथा ऐसा होने पर लोक-सभा राज्य-सभा की सिपारिशों में से सबको या किसी को स्वीकार या अस्वीकार कर सकेगी।