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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ११०–११२

(४) अनुच्छेद १०९ के अधीन जब धन-विधेयक राज्य-सभा को भेजा जाता है तथा जब वह अनुच्छेद १११ के अधीन अनुमति के लिये राष्ट्रपति के समक्ष उपस्थित किया जाता है तब प्रत्येक धन विधेयक पर लोक-सभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर सहित यह प्रमाण अंकित रहेगा कि वह धन-विधेयक है। विधेयकों पर अनुमति १११. जब संसद् के सदनों द्वारा कोई विधेयक पारित कर दिया गया हो तब वह राष्ट्रपति के समक्ष उपस्थित किया जायेगा तथा राष्ट्रपति घोषित करेगा कि वह विधेयक पर या तो अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है :

परन्तु राष्ट्रपति अनुमति के लिये अपने समक्ष विधेयक रखे जाने के पश्चात् यथाशीघ्र उस विधेयक को, यदि वह धन विधेयक नहीं है तो, सदनों को संदेश के साथ लौटा सकेगा कि वे उस विधेयक पर अथवा उसके किसी उल्लिखित उपबन्धों पर पुनर्विचार करें तथा विशेषतः किन्हीं ऐसे संशोधनों के पुरः स्थापन की वांछनीयता पर विचार करें जिनकी उसने अपने संदेश में सिपारिश की हो तथा जब विधेयक इस प्रकार लौटा दिया गया हो तब सदन विधेयक पर तदनुसार पुनर्विचार करेंगे तथा यदि विधेयक सदनों द्वारा संशोधन सहित या रहित पुनः पारित हो जाता है तथा राष्ट्रपति के समक्ष अनुमति के लिये रखा जाता है तो राष्ट्रपति उस पर अपनी अनुमति न रोकेगा।

वित्तीय विषयों में प्रक्रिया

वार्षिक-वित्त-विवरण ११२. (१) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के बारे में संसद् के दोनों सदनों के समक्ष राष्ट्रपति भारत सरकार की उस वर्ष के लिये प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय का विवरण रखवायेगा जिसे इस संविधान के इस भाग में "वार्षिक-वित्त-विवरण" नाम से निर्दिष्ट किया गया है।

(२) वार्षिक-वित्त-विवरण में दिये हुए व्यय के प्राक्कलनों में—

(क) जो व्यय इस संविधान में भारत की संचित निधि पर भारित व्यय के रूप में वर्णित है उसकी पूर्ति के लिये अपेक्षित राशियाँ, तथा
(ख) भारत की संचित निधि से किये जाने वाले अन्य प्रस्थापित व्यय की पूर्ति के लिये अपेक्षित राशियाँ,

पृथक् पृथक् दिखाई जायेंगी तथा राजस्व लेखे पर होने वाले व्यय का अन्य व्यय से भेद किया जायेगा।

(३) निम्नवर्ती व्यय भारत की संचित निधि पर भारित व्यय होगा—

(क) राष्ट्रपति की उपलब्धियाँ और भत्ते तथा उसके पद से सम्बद्ध अन्य व्यय;
(ख) राज्य सभा के सभापति और उपसभापति तथा लोक सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन और भत्ते;
(ग) ऐसे ऋण भार जिनका दायित्व भारत सरकार पर है, जिनके अन्तर्गत व्याज, निक्षेप-निधि भार और मोचन भार तथा उधार लेने और ऋण सेवा और ऋण मोचन सम्बन्धी अन्य व्यय भी हैं;
(घ) (१) उच्चतमन्यायालय के न्यायाधीशों को, या के बारे में दिये जाने वाले वेतन, भत्ते और निवृत्ति-वेतन;
(२) फेडरलन्यायालय के न्यायाधीशों को, या के बारे में, दिये जाने वाले निवृत्ति-वेतन;