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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ ११२–११४

(३) जो उच्चन्यायालय भारत राज्य-क्षेत्र में के अन्तर्गत किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है अथवा जो [१][भारत डोमीनियन के राज्यपाल के प्रान्त] में के अन्तर्गत किसी क्षेत्र के सम्बन्ध में इस संविधान के प्रारम्भ से पूर्व किसी भी समय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता था उसके न्यायाधीशों को, या के बारे में, दिये जाने वाले निवृत्ति-वेतन;
(ङ) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के, या के बारे में दिये जाने वाले वेतन, भत्ते और निवृत्ति-वेतन;
(च) किसी न्यायालय या मध्यस्थ न्यायाधिकरण के निर्णय, आज्ञप्ति या पंचाट के भुगतान के लिये अपेक्षित कोई राशियाँ;
(छ) इस संविधान द्वारा, अथवा संसद् से विधि द्वारा इस प्रकार भारित घोषित किया गया कोई अन्य व्यय।

संसद् में प्राक्कलनों
के विषय में
प्रक्रिया
११३. (१) भारत की संचित निधि पर भारित व्यय से सम्बद्ध प्राक्कलन संसद् में मतदान के लिये न रखे जायेंगे, किन्तु इस खंड की किसी बात का यह अर्थ के विषय न किया जायेगा कि वह संसद् के किसी सदन में उन प्राक्कलनों में से किसी पर चर्चा को रोकती है।

(२) उक्त प्राक्कलनों में से जितने अन्य व्यय से सम्बद्ध हैं वे लोक-सभा के समक्ष अनुदानों की मांगों के रूप में रखे जायेंगे तथा लोक-सभा को शक्ति होगी कि किसी मांग को स्वीकार या अस्वीकार करे अथवा किसी मांग को, उसमे उल्लिखित राशि को कम कर के, स्वीकार करे।

(३) राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना किसी भी अनुदान की मांग न की जायेगी।

विनियोग विधेयक ११४. (१) लोक-सभा द्वारा अनुच्छेद ११३ के अधीन अनुदान किये जानें के बाद यथासम्भव शीघ्र भारत की संचित निधि में से—

(क) लोक-सभा द्वारा इस प्रकार किये गये अनुदानों की; तथा
(ख) भारत की संचित निधि पर भारित, किन्तु संसद् के समक्ष पहिले रखे गये विवरण में दी हुई राशि से किसी भी अवस्था में अनधिक व्यय की,

पूर्ति के लिये अपेक्षित सब धनों के विनियोग के लिये विधेयक पुरःस्थापित किया जायेगा।

(२) इस प्रकार किये गये किसी अनुदान की राशि में फेरफार करने, अथवा अनुदान के लक्ष्य को बदलने, अथवा भारत की संचित निधि पर भारित व्यय की राशि में फेरफार करने का प्रभाव रखने वाला कोई संशोधन ऐसे किसी विधेयक पर, संसद् के किसी सदन में प्रस्थापित न किया जायेगा तथा कोई संशोधन इस खंड के अधीन प्रवेश्य है या नहीं इस बारे में पीठासीन व्यक्ति का विनिश्चय अन्तिम होगा।


  1. संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा "प्रथम अनुसूची के भाग (क) में उल्लिखित राज्य के तत्स्थानी प्रान्त" के स्थान पर रखे गये।