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भारत का संविधान

 

भाग ५—संघ—अनु॰ १४६–१४८

(२) संसद् द्वारा निर्मित विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए उच्चतम- न्यायालय के पदाधिकारियों और सेवकों की सेवा की शत ऐसी होंगी जैसी कि भारत का मुख्य न्यायाधिपति अथवा उस न्यायालय का ऐसा अन्य न्यायाधीश या पदाधिकारी, जिसे भारत के मुख्य न्यायाधिपति ने उस प्रयोजन के लिये नियम बनाने को प्राधिकृत किया है, नियमों द्वारा विहित करे :

परन्तु इस खंड के अधीन बनाये गये नियमों के लिये जहां तक कि वे वेतनो, भत्तों, छुट्टी या निवृत्तिवेतनों से सम्बद्ध हैं, राष्ट्रपति के अनुमोदन की अपेक्षा होगी।

(३) उच्चतमन्यायालय के प्रशासन-व्यय, जिनके अन्तर्गत उस न्यायालय के पदाधिकारियों और सेवकों को, या के बारे में, दिये जाने वाले सब वेतन, भत्ते और निवृत्ति वेतन भी हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे तथा उस न्यायालय द्वारा ली गई फीसें और अन्य धन उस निधि का भाग होंगी। निर्वाचन १४७. इस अध्याय में तथा भाग ६ के अध्याय ५ में इस संविधान के निर्वाचन के सारवान् विधि-प्रश्न के बारे में जो निर्देश हैं उनका अर्थ ऐसा किया जायेगा कि मानो उनके अन्तर्गत भारत-शासन अधिनियम, १९३५ के (जिसके अन्तर्गत उस अधिनियम को संशोधित या अनुपूरित करने वाली कोई अधिनियमिति भी है) अथवा उसके अधीन बनाये गये किसी परिषदादेश या आदेश के अथवा भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम, १९४७ के अथवा उसके अधीन बनाये गये किसी आदेश के निर्वचन के सारवान् विधि प्रश्न के निर्देश भी हैं।

अध्याय ५ भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक

भारत का नियंत्रक
महालेखापरीक्षक
१४८. (१) भारत का एक नियंत्रक-महालेखापरीक्षक होगा जिस को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा तथा वह अपने पद से केवल उसी रीति और उन्हीं कारणों से हटाया जायेगा जिस रीति और जिन कारणों से उच्चतमन्यायालय का न्यायाधीश हटाया जाता है।

(२) प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया जाता है, अपने पद ग्रहण से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा उस लिये नियुक्त व्यक्ति के समक्ष तृतीय अनुसूची में इस प्रयोजन के लिये दिये हुये प्रपत्र के अनुसार शपथ या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा।

(३) नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन तथा सेवा की शर्तें ऐसी होंगी जैसी कि संसद् विधि द्वारा निर्धारित करे तथा जब तक संसद् इस प्रकार निर्धारित न करे तब तक ऐसी होंगी जैसी कि द्वितीय अनुसूची में उल्लिखित हैं :

परन्तु न तो नियंत्रक-महालेखापरीक्षक के वेतन में और न उस की अनुपस्थिति-छुट्टी, निवृत्ति-वेतन या निवृत्ति-वयस् सम्बन्धी अधिकारों में उसकी नियुक्ति के पश्चात् उस को अलाभकारी कोई परिवर्तन किया जायेगा।

(४) अपने पद पर न रह जाने के पश्चात् नियंत्रक महालेखापरीक्षक भारत सरकार के अथवा किसी राज्य की सरकार के अधीन और पद का पात्र न होगा।