पृष्ठ:भारत का संविधान (१९५७).djvu/१५७

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भाग—६
[१]* * *राज्य
अध्याय १.—साधारण

परिभाषा १५२. यदि प्रसंग से दूसरा अर्थ अपेक्षित न हो तो इस भाग में "राज्य" पद [२][के अन्तर्गत जम्मू तथा कश्मीर राज्य नहीं है।

अध्याय २.—कार्यपालिका
राज्यपाल

राज्यों के राज्यपाल १५३. प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल होगा।

[३][परन्तु इस अनुच्छेद में की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो या अधिक‌ राज्यों के लिये राज्यपाल नियुक्त करने से नहीं रोकेगी।] राज्य की कार्य
पालिका शक्ति

१५४. (१) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, राज्य की कार्य-तथा वह इस का प्रयोग इस संविधान के अनुसार या तो स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के द्वारा करेगा।

(२) इस अनुच्छेद की किसी बात से—
(क) जो कृत्य किसी वर्तमान विधि ने किसी अन्य प्राधिकारी को दिये हैं वे कृत्य राज्यपाल को हस्तान्तरित किये हुए न समझे जायेंगे; अथवा
(ख) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य देने में संसद् अथवा राज्य के विधानमंडल को बाधा न होगी।

राज्यपाल की
नियुक्ति
१५५. राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।

राज्यपाल की पदावधि

१५६. (१) राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त राज्यपाल पद धारण करेगा।

(२) राज्यपाल राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।

(३) इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबन्धों के अधीन रहते हुए राज्यपाल अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा : परन्तु अपने पद की अवधि की समाप्ति हो जाने पर भी राज्यपाल अपने

उत्तराधिकारी के पद ग्रहण तक पद धारण किये रहेगा।
  1. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) में के" शब्द संविधान (सप्तम संशोधन) अधिनियम, १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  2. उपरोक्त के ही द्वारा "का अर्थ प्रथम अनुसूची के भाग (क) में उल्लिखित राज्य है" के स्थान पर रख दिये गये।
  3. उपरोक्त की ही धारा ६ द्वारा जोड़ा गया।

11-1 Law./57