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भारत का संविधान


भाग ६—राज्य—अनु॰ १९१—१९४

सदस्यता के लिए
अनर्हतायें
१९१. (१) कोई व्यक्ति किसी राज्य की विधान-सभा या विधान परिषद् का सदस्य चुने जाने के लिये तथा सदस्य होने के लिये अनर्ह होगा—

(क) यदि वह भारत सरकार के अथवा प्रथम अनुसूची में उल्लिखित किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़ कर जिसे धारण करने वाले का अनर्ह न होना उस राज्य के विधानमंडल ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई अन्य लाभ का पद धारण किये हुए है;
(ख) यदि वह विकृतचित्त है तथा सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है;
(ग) यदि वह अनुन्मुक्त दिवालिया है;
(घ) यदि वह भारत का नागरिक नहीं है अथवा किसी विदेशी राज्य की नागरिकता को स्वेच्छा से अर्जित कर चुका है, अथवा किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को अभिस्वीकार किये हुए है;
(ङ) यदि वह संसद् निर्मित किसी विधि के द्वारा या अधीन इस प्रकार अनर्ह कर दिया गया है।

(२) इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिये कोई व्यक्ति भारत सरकार के अथवा प्रथम अनुसूची में उल्लिखित किसी राज्य की सरकार के अधीन लाभ का पद धारण करने वाला केवल इसी लिये नहीं समझा जायेगा कि वह संघ का या ऐसे राज्य का मंत्री है।

सदस्यों की
अनर्हताओं विषयक
प्रश्नों पर विनिश्चय
१९२. (१) यदि कोई प्रश्न उठता है कि राज्य के विधानमंडल का सदस्य अनुच्छेद १९१ के खंड (१) में वर्णित अनर्हताओं का भागी हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राज्यपाल को विनिश्चय के लिये सौंपा जायेगा तथा उसका विनिश्चय अन्तिम होगा।

(२) ऐसे किसी प्रश्न पर विनिश्चय देने से पूर्व राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेगा तथा ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।

अनुच्छेद १८८ के
अधीन शपथ या
प्रतिज्ञान करने
से पूर्व अथवा अनर्ह
होते हुए अथवा
अनर्ह किये जाने
पर बठने और मत
देने के लिये दण्ड
१९३. यदि राज्य की विधान-सभा या विधान-परिषद् में कोई व्यक्ति सदस्य के रूप में, अनुच्छेद १८८ की अपेक्षाओं की पूर्ति करने से पूर्व, अथवा यह जानते हुए कि मैं उसकी सदस्यता के लिये अर्ह नहीं हूं अथवा अनर्ह कर दिया गया हूं अथवा संसद् द्वारा या राज्य के विधानमंडल द्वारा निर्मित किसी विधि के उपबन्धों से ऐसा करने से प्रतिषिद्ध कर दिया गया हूं, बैठता या मतदान करता है, तो वह प्रत्येक दिन के लिये जब कि वह इस प्रकार बैठता है या मतदान करता है, पांच सौ रुपये के दंड का भागी होगा जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल होगा।

 

राज्य के विधानमंडलों और उन के सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां

 

विधानमंडलों के
सदनों की तथा उन
के सदस्यों और
समितियों की शक्तियां,
विशेषाधिकार आदि
१९४. (१) इस संविधान के उपबन्धों के तथा विधानमंडल की प्रक्रिया के विनियामक नियमों और स्थायी आदेशों के अधीन रहते हुए प्रत्येक राज्य के विधानमंडल में वाक स्वातंत्र्य होगा।