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भारत का संविधान

भाग ६—राज्य—अनु॰ १९४—१९६

(२) राज्य के विधानमंडल में या उस की किसी समिति में कही हुई किसी बात अथवा दिये हए किसी मत के विषय में विधानमंडल के किसी सदस्य के विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई कार्यवाही न चल सकेगी और न किसी व्यक्ति के विरुद्ध ऐसे विधानमंडल के किसी सदन के प्राधिकार के द्वारा या अधीन किसी प्रतिवेदन, पत्र, मतों या कार्यवाहियों के प्रकाशन के विषय में इस प्रकार की कोई कार्यवाही चल सकेगी।

(३) अन्य बातों में राज्य के विधानमंडल के प्रत्येक सदन की, ऐसे विधान-मंडल के तथा प्रत्येक सदन के सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां ऐसी होंगी, जैसी वह विधानमंडल समय समय पर विधि द्वारा परिभाषित करे, तथा जब तक इस प्रकार परिभाषित नहीं की जातीं तब तक वे ही होंगी जो इस संविधान के प्रारम्भ पर इंग्लिस्तान की पार्लियामेंट के हाउस आफ कामन्स की तथा उसके सदस्यों और समितियों की हैं।

(४) जिन व्यक्तियों को इस संविधान के आधार पर राज्य के विधानमंडल के किसी सदन अथवा उस की किसी समिति में बोलने का, अथवा अन्य प्रकार से उसकी कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार है उनके सम्बन्ध में खंड (१), (२) और (३) के उपबन्ध उसी प्रकार लाग होंगे जिस प्रकार वे उस विधानमंडल के सदस्यों के सम्बन्ध में लागू हैं।

सदस्यों के वेतन
और भत्ते
१९५. राज्य की विधान-सभा और विधान-परिषद् के सदस्यों को ऐसे वेतनों और भत्तों के, जिन्हें उस राज्य का विधान मंडल, विधि द्वारा, समय समय पर निर्धारित करे, तथा जब तक तद्विषयक उपबन्ध इस प्रकार नहीं बनाया जाता, तब तक ऐसे वेतन, और भत्तों के, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जैसी कि इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले उस राज्य की प्रान्तीय विधान-सभा के सदस्यों के विषय में लागू थीं, पाने का हक्क होगा।

विधान प्रक्रिया

विधेयकों के
पुर:स्थापन और
पारण विषयक
उपबन्ध
१९६. (१) धन-विधेयकों तथा अन्य वित्त-विधेयकों के विषय में अनुच्छेद १९८ और २०७ के उपबन्धों के अधीन रहते हए, कोई विधेयक, विधान-परिषद् वाले राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन में आरम्भ हो सकेगा।

(२) अनुच्छेद १९७ और १९८ के उपबन्धों के अधीन रहते हुए कोई विधेयक, विधान-परिषद् वाले, राज्य के विधानमंडल के सदनों द्वारा तब तक पारित न समझा जायेगा जब तक कि या तो बिना संशोधन के या केवल ऐसे संशोधनों के सहित, जो दोनों सदनों द्वारा स्वीकृत कर लिये गये हैं, दोनों सदनों द्वारा वह स्वीकृत न कर लिया गया हो।

(३) किसी राज्य के विधानमंडल में लम्बित-विधेयक उसके सदन या सदनों के सत्तावसान के कारण व्यपगत न होगा।

(४) किसी राज्य की विधान-परिषद् में लम्बित-विधेयक, जिसको विधान-सभा ने पारित नहीं किया है, विधान-सभा के विघटन पर व्यपगत न होगा।